क्या आपकी धान के पौधों को तो नहीं जकड़ रहा ये वायरस, तुरंत करें इलाज, नहीं तो धान के उत्पादन पर पड़ेगा असर

सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस' की वजह से धान के पौधों में बौनापन रोग हो सकता है

क्या आपकी धान के पौधों को तो नहीं जकड़ रहा ये वायरस, तुरंत करें इलाज, नहीं तो धान के उत्पादन पर पड़ेगा असर
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क्या आपकी धान के पौधों को तो नहीं जकड़ रहा ये वायरस, तुरंत करें इलाज, नहीं तो धान के उत्पादन पर पड़ेगा असर


धान, भारतीय कृषि की मुख्य फसलों में से एक है, जिसका महत्वपूर्ण योगदान खाद्य सुरक्षा में होता है। लेकिन 'सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस' की वजह से धान के पौधों में बौनापन रोग हो सकता है, जिससे उत्पादन में नुकसान हो सकता है। इस लेख में हम इस बीमारी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और इसके बचाव और उपायों पर विचार करेंगे।

बौनापन रोग का कारण:

बौनापन रोग का मुख्य कारण 'सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस' होता है, जिसके कारण धान के पौधे बौने रह जाते हैं। यह वायरस धान के पौधों में 25 से 30 दिन की फसल पर ज्यादा प्रभाव डालता है, जिससे जुलाई महीने में बुआई की गई फसल पर इसका असर अधिक होता है।

बौनापन रोग के लक्षण:

धान के पौधों के पत्तों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं।

पौधों की ऊँचाई में कमी होती है और वे बौने रहते हैं।

बचाव और उपाय:

निराई गुड़ाई: धान की फसल लगाने के बाद भी निराई गुड़ाई जारी रखने से पौधों में ऑक्सीजन का संचार होगा और उनकी सुरक्षा होगी।

बुआई की समय पर जानकारी: फसल बुआई के समय किसानों को सोशल मीडिया के माध्यम से बौनापन रोग के लक्षणों और उपायों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

पौधों की निगरानी: फसल में 5 से 20% तक पीले पौधे दिखाई दे रहे हो तो उन्हें हटा देना चाहिए और उनकी जगह नए पौधे लगाने चाहिए।

उर्वरकों का सावधानी से इस्तेमाल: धान की फसल में समय-समय पर उर्वरकों का संतुलित इस्तेमाल करना चाहिए, ज्यादा रासायनिक उर्वरकों से बचना चाहिए।

समापन:

बौनापन रोग के कारण धान के पौधों की विकास प्रक्रिया पर असर पड़ता है और उत्पादन में नुकसान हो सकता है। इसके लिए किसानों को बौनापन रोग के लक्षणों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे समय पर बचाव के उपायों का इस्तेमाल कर सकें।

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