जेठाराम ने 15 लाख का कर्ज लेकर शुरू की थी अनार की बागवानी, अब तक अनार बेच कमा चुके 80 लाख रुपए, जानिए इस अंगूठा छाप किसान की कहानी

वे अनपढ़ अंगूठा छाप किसान हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और उन्नत तकनीकों के साथ अनार की खेती में सफलता पाई है

जेठाराम ने 15 लाख का कर्ज लेकर शुरू की थी अनार की बागवानी, अब तक अनार बेच कमा चुके 80 लाख रुपए, जानिए इस अंगूठा छाप किसान की कहानी
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जेठाराम ने 15 लाख का कर्ज लेकर शुरू की थी अनार की बागवानी, अब तक अनार बेच कमा चुके 80 लाख रुपए, जानिए इस अंगूठा छाप किसान की कहानी

भारतीय किसानों के लिए खेती का काम वर्गीकरण से आता है, लेकिन राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक अनूठे किसान ने दिखाया कि मेहनत और नए तरीकों के साथ, खेती से ही बड़े-बड़े बिजनेसमैन को भी पीछे छोड़ सकता है। जेठाराम कोडेचा, जिन्होंने अपनी अनार की खेती से लाखों रुपये की कमाई की है, हमें उनकी कहानी से प्रेरित करते हैं।

खेती से नए दिशानिर्देश

पारंपरिक फसलों की खेती में मुनाफा कम होने के बावजूद, जेठाराम कोडेचा ने नए तरीके ढूंढने में सफलता पाई। उन्होंने खेती का तरीका बदलकर बागवानी की ओर रुख कीया। अनार की खेती में उन्होंने अपनी किस्मत को बदल दिखाया है।

उन्नत तकनीकों का सहारा

जेठाराम कोडेचा का कहना है कि उन्होंने महाराष्ट्र से उन्नत अनार की किस्म के पौधे मंगवाए और अपने खेत में लगाए। इसके परिणामस्वरूप, उनकी खेत में उगाए गए अनार का उत्पादन महाराष्ट्र, कलकत्ता और बांग्लादेश जैसे शहरों तक पहुंच रहा है।

अनदेखी नहीं की गई मेहनत

जेठाराम कोडेचा ने दिखाया कि शिक्षा का कोई मायने नहीं रखता, जब बात मेहनत और नए तरीकों की होती है। वे अनपढ़ अंगूठा छाप किसान हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और उन्नत तकनीकों के साथ अनार की खेती में सफलता पाई है। वे अपने खेत में अनार की भगवा और सिंदूरी सरीखी उन्नत किस्मों का उत्पादन कर रहे हैं. जेठाराम ने 45 बीघा जमीन में अनार की खेती कर रखी है. एक पौधे से 25 किलो अनार का उत्पादन होता है.


जेठाराम कोडेचा को अनार की खेती शुरू करने के एक साल के बाद से कमाई होने लगी. अनार बेचकर दूसरे साल उन्होंने 7 लाख रुपये की कमाई की थी. इसी तरह तीसरे साल 15 लाख, चौथे साल 25 लाख, पांचवें साल अनार से उन्हें 35 लाख रुपये की इनकम हुई. वे कहते हैं कि अभी तक अनार बेचकर 80 लाख रुपये की कमाई कर चुके हैं. उन्होंने खुद को बस पारंपरिक खेती से ही सीमित नहीं किया बल्कि नए तरीकों की तलाश में कदम बढ़ाया।

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