गेहूं (MSP) को लेकर जीतू पटवारी ने मोहन सरकार को घेरा, पत्र लिखकर “मोदी की गारंटी” पर कही इतनी बड़ी बात
गेहूं (MSP) को लेकर जीतू पटवारी ने मोहन सरकार को घेरा, पत्र लिखकर “मोदी की गारंटी” पर कही इतनी बड़ी बात
खेत खजाना : गेहूं के समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर मध्य प्रदेश में राजनीतिक घमासान जारी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को एक चिट्ठी लिखकर उनकी सरकार को घेरा है। उन्होंने उनसे पूछा है कि उनकी पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र में और “मोदी की गारंटी” में गेहूं के समर्थन मूल्य को 2700 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा क्यों तोड़ा है? उन्होंने कहा है कि सरकार ने अभी तक सिर्फ 2250 रुपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य घोषित किया है, जो कि किसानों के साथ धोखा है।
जीतू पटवारी ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि सरकार ने गेहूं की खरीदी के लिए पंजीयन की व्यवस्था तो अच्छी की है, लेकिन उससे पहले ही गेहूं के समर्थन मूल्य को लेकर कांग्रेस को आपत्ति है। उन्होंने कहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के नेताओं ने किसानों को यह विश्वास दिलाया था कि उनकी सरकार बनने के बाद गेहूं उत्पादक किसानों की सुविधाओं और अधिकारों का पूरा ध्यान रखेगी, लेकिन अब वो वादा पूरा नहीं कर रही है।
जीतू पटवारी ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि सरकार ने धान की खरीदी में भी कम समर्थन मूल्य देकर किसानों को ठगा है। उन्होंने कहा है कि धान की खरीदी 19 जनवरी से बंद हो गई, लेकिन 3100 रुपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य नहीं दिया गया, जबकि चुनावी घोषणा पत्र में भी भाजपा ने किसानों की इस मांग को “मोदी की गारंटी” का नाम दिया था। उन्होंने कहा है कि MP में अब “मोदी की गारंटी” का कोई मोल नहीं है।
जीतू पटवारी ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि छत्तीसगढ़ की तरह ही धान किसानों को बोनस देने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के बाद, किसानों को 900 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया जा रहा है, जो कि किसानों के हक की बात है। उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश के किसानों को भी तत्काल बोनस दिया जाए, जिससे कि उनकी आय में वृद्धि हो सके।
इस तरह, जीतू पटवारी ने अपनी चिट्ठी में मोहन यादव सरकार को गेहूं के समर्थन मूल्य को लेकर जमकर घेरा है और उन्हें अपने वादे पूरा करने की चुनौती दी है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री का इस पर क्या जवाब होगा और किसानों की मांगों को कितनी ताकत मिलती है।