पपीते की खेती में लगने वाले रोग और जानिए इसका समाधान, सिर्फ 10 महीने में फल देने वाली खेती से पाए मुनाफा

यह न केवल कई औषधियों से भरपूर है, बल्कि सेहत के लिए भी गुणकारी है। इसकी खेती से किसानों को कम समय में अधिक लाभ हो रहा है

पपीते की खेती में लगने वाले रोग और जानिए इसका समाधान, सिर्फ 10 महीने में फल देने वाली खेती से पाए मुनाफा
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पपीते की खेती में लगने वाले रोग और जानिए इसका समाधान, सिर्फ 10 महीने में फल देने वाली खेती से पाए मुनाफा

पपीता, जो हमारे पौष्टिक रोजगार का हिस्सा है यह खेती वाकई कुदरत की अनोखी देन है। यह न केवल कई औषधियों से भरपूर है, बल्कि सेहत के लिए भी गुणकारी है। इसकी खेती से किसानों को कम समय में अधिक लाभ हो रहा है

पपीते के गुण

तेज़ फलने वाला पेड़

पपीता बहुत कम समय में फल देता है, जिससे किसानों को जल्दी और अच्छा लाभ होता है।





पाचक एन्जाइम्स


पपीते में कई महत्वपूर्ण पाचक एन्जाइम्स होते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं।

समृद्ध खेती

पपीता गृह वाटिका से लेकर खेती व्यवसाय तक फैल गया है, जिससे किसानों को अधिक आय प्राप्त हो रही है।

रोग और कीट प्रबंधन

रोग/कीट उपाय

मुजैक, लीफ कर्ल, डिस्टोसर्न

इस रोग के लगने पर व्लाईटाक्स या डाईथेन एम्-45 का छिड़ाकाव करें


कीट प्रबंधन

पपीते के पौधों को कीटो से कम नुकसान पहुचता है फिर भी कुछ कीड़े लगते है जैसे माहू, रेड स्पाईडर माईट, निमेटोड आदि है. नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 ई. सी.1.5 मिली लीटर या फास्फोमिडान 0.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से माहू आदि का नियंत्रण होता है.

फसल कटाई

पपीते के पौधे ठीक 10-12 महीने बाद तैयार होते हैं। तोड़ते समय खरोच और दागों से बचने के लिए सावधानी बरतना चाहिए।

पैदावार

पैदावार मिट्टी, जलवायु, और देखभाल पर निर्भर करती है। उचित व्यवस्था पर प्रति पेड़ औसत उपज में फल 35-50 किग्रा प्राप्त होता है, जो किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।

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