जानिए सरसों की कम समय में अधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियां, इनकी खासियत, कहां के किसानों को मिलेगा फायदा?

सुपरफास्ट सरसों किस्में जो खेती को दे रही हैं नया दिशा

जानिए सरसों की कम समय में अधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियां, इनकी खासियत, कहां के किसानों को मिलेगा फायदा?
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सरसों की कम अवधि में पकने वाली किस्मों का महत्व

सरसों, एक प्रमुख फसल है जो भारत में सिंचाई और बरसाती क्षेत्रों में बोई जाती है। परिपक्वता की अवधि के साथ, यह फसल किसानों को अच्छा लाभ देती है, लेकिन कई बार समय की कमी के कारण फसलों की बुआई में विचलितता होती है। इस समस्या का समाधान पूसा संस्थान ने उनकी कम अवधि में पकने वाली किस्मों के रूप में प्रस्तुत किया है।

पूसा अग्रणी: कम समय में पकने वाली पहली प्रजाति

एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, पूसा संस्थान ने पूसा अग्रणी नामक प्रजाति का विकास किया है जो केवल 110 दिनों की अवधि में पकने में सक्षम होती है। यह किस्म 13.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत पैदावार देती है।

पूसा तारक और पूसा महक: अग्रणी के बाद की स्थिति

इसके पश्चात्, पूसा संस्थान ने पूसा तारक और पूसा महक नामक दो अन्य किस्मों का विकास किया है, जो 110-115 दिनों के भीतर पकने में सक्षम होती हैं। इनकी औसत पैदावार 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के बीच होती है।

पूसा सरसों -25 और पूसा सरसों -27: कम समय में पकने वाली विकसित किस्में

पूसा संस्थान ने पूसा सरसों -25 की भी विकसिति की है, जो सिर्फ 100 दिनों में पक जाती है। इसकी पैदावार 14.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के बीच होती है। विशेषज्ञ सिफारिश करते हैं कि 5% मेलाथिऑन का उपयोग करके बुआई के समय भुरकाव करें ताकि पेंटेड बग कीट से फसल सुरक्षित रहे।

पूसा सरसों -28: नवीनतम किस्म का प्रस्तावना

पूसा सरसों -28 एक नवीनतम किस्म है जो 105-110 दिनों में पक जाती है। इसकी पैदावार 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के बीच होती है। इन किस्मों के साथ, किसान एक साल में तीन बार फसल ले सकते हैं और अधिक लाभ कमा सकते हैं।

कम अवधि में पकने वाली सरसों की फायदे

इन प्रजातियों में माहू या चेपा कीट का प्रकोप कम होता है, जो फसल को सुरक्षित रखता है। ये किस्में आमतौर पर बीमारियों से मुक्त रहती हैं, जो किसानों को लाभ प्रदान करते हैं। ध्यान देने वाली बात है कि पेंटेड बग कीट से बचाव के लिए मेलाथिऑन का उपयोग करना चाहिए।

पूसा संस्थान द्वारा विकसित की गई कम अवधि में पकने वाली सरसों की किस्में किसानों को नए दिशाएँ प्रदान कर रही हैं। ये किस्में किसानों को अधिक फायदा प्रदान करने के साथ-साथ फसलों की अच्छी सुरक्षा भी देती हैं। इससे किसान तीन बार फसल लेने में सक्षम होते हैं और उन्हें अधिक लाभ मिलता है। इस नवाचार से, किसान अपनी कमी वक्त के बावजूद बुआई करके एक और फसल उगा सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सकती है।

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