तेल-तिलहन बाजार के ताजा भाव: सरसों, सोया और बिनौला के मूल्ये बढ़े
तेल-तिलहन बाजार में सरसों, बिनौला और सोया तेल के भावों में 200-450 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी। बारिश और कमजोर आपूर्ति से दाम बढ़े। पढ़ें ताजा अपडेट।
देश में तेल-तिलहन बाजार में गत सप्ताह बड़ा उछाल देखा गया। सरसों, बिनौला और सोया तेल के भावों में 200 से 450 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी दर्ज की गई। राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बारिश से फसल को संभावित नुकसान और स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर होने के चलते तेल मिलों की मांग बढ़ी। इसके परिणामस्वरूप सरसों और अन्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई।
सरसों के दामों में बढ़ोतरी
राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की मंडियों में सरसों के दाम 200 रुपए बढ़कर ₹6425-₹6475 प्रति क्विंटल हो गए। जयपुर और गंगानगर लाइन में सरसों तेल कच्छी घानी के भाव ₹300 बढ़कर ₹13400-₹13500 प्रति क्विंटल हो गए।
स्थान | सरसों तेल (₹/क्विंटल) |
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गंगानगर लाइन | 13400 |
जयपुर मंडी | 13500 |
देश की मंडियों में सरसों की आवक भी घटकर 1.60 लाख बोरी से 1.15 लाख बोरी प्रतिदिन रह गई, जिससे आपूर्ति कम हो गई और भावों में तेजी आई।
सोया तेल और बिनौला तेल में उछाल
हरियाणा और पंजाब से कमजोर आपूर्ति और रिफाइंड निर्माताओं की मांग के कारण बिनौला तेल ₹400 बढ़कर ₹12100 प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। सोया रिफाइंड के भाव कांदला में ₹100 बढ़कर ₹12200 प्रति क्विंटल हो गए, जबकि स्थानीय बाजार में इसके दाम ₹200 बढ़कर ₹13200 प्रति क्विंटल हो गए।
तेल प्रकार | दाम (₹/क्विंटल) |
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बिनौला तेल | 12100 |
सोया रिफाइंड | 12200 |
तिल तेल और पाम ऑयल के भाव स्थिर
तिल तेल के दाम ₹14800 प्रति क्विंटल पर टिके रहे। विदेशों में क्रूड पाम ऑयल (CPO) के भाव $50 बढ़कर $1230 प्रति टन हो गए। कांदला में सीपीओ ₹100 बढ़कर ₹10250 प्रति क्विंटल पर पहुंचा।
वनस्पति घी और साबुन निर्माताओं की मांग बढ़ी
साबुन निर्माताओं की मांग और स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर होने से सोया एसिड ऑयल के भाव ₹6850-₹6900 से बढ़कर ₹7200-₹7250 प्रति क्विंटल हो गए। पशु आहार निर्माताओं की मांग के कारण सरसों खल के भाव ₹200 बढ़कर ₹2500-₹2650 प्रति क्विंटल हो गए।
उत्पाद | दाम (₹/क्विंटल) |
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सोया एसिड ऑयल | 7200-7250 |
सरसों खल | 2500-2650 |
सरसों और तेल-तिलहन बाजार का भविष्य
तेल-तिलहन बाजार में आगामी सप्ताहों में मांग और आपूर्ति के आधार पर उतार-चढ़ाव की संभावना है। किसानों और व्यापारियों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की गतिविधियों पर नज़र रखें और अपनी बिक्री और खरीदारी की रणनीतियां उसी के अनुसार तय करें।