मक्का की खेती कैसे करें

भारत में मक्का पूरे साल उगाया जाता है। यह मुख्य रूप से खरीफ की फसल है, जिसमें सीजन में लगभग 85 प्रतिशत क्षेत्र में मक्के की खेती की जाती है।

मक्का की खेती कैसे करें
X

बुवाई का समय :

मक्का की बुवाई मध्य मई से मध्य जून तक पूरी कर लेनी चाहिए, बुवाई के 15 दिन बाद खेत की पहली निराई होना बहुत जरूरी है। शीघ्र पकने वाली मक्का की बुवाई जून के अंत तक पूरी कर ली जाए तथा बरसात के समय वाली 10 जुलाई तक पूरी कर ली जाए

उपर्युक्त भूमि :-

मक्का की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। परंतु मक्का की अच्छी उत्पादकता के लिए दोमट एवं मध्यम से भारी मिट्टी जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश वाली भूमि उपयुक्त रहती है। इसके लिए ऐसी भूमि हो जहां पानी का निकास अच्छा हो उपयुक्त होती है।

खेत की तैयारी :

मक्का की खेती के लिए बुवाई से पहले 2-3 बार खेत की अच्छी तरह से देशी हल या कल्टीवेटर से अच्छी तरह से जुताई करे,ताकि मिट्टी भुरभुरि हो जाये फिर इसके बाद पाटा चलाकर बुवाई के लिए खेत तैयार करे |

जलवायु :-

मक्के की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए उचित जलवायु और तापमान होना जरूरी होता है | इसकी फसल उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में अच्छे से वृद्धि करती है | इसके पौधों को सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है | आरम्भ में इसके पौधों को वृद्धि करने के लिए नमी की आवश्यकता होती है, 18 से 23 डिग्री का तापमान पौधों की वृद्धि और 28 डिग्री का तापमान पौधे के विकास के लिए अधिक बेहतर माना जाता है |

वैरायटी

डीएचएम-107, डीएचएम-109

जवाहर मक्का-12

अमर

आजाद कमल

पंत संकुल मक्का-3

चन्द्रमणी, प्रताप-3

विकास मक्का-421

हिम-129

रोपाई का सही समय और तरीका

बीजो को लगाने से पहले उन्हें अच्छे से उपचारित कर लेना चाहिए, जिससे बीजो की वृद्धि के दौरान उनमे रोग न लगे | इसके लिए सबसे पहले बीजो को थायरम या कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम की मात्रा को प्रति 1 किलो बीज को उपचारित कर ले | इस उपचार से बीजो को फफूंद से बचाया जाता है | इसके बाद बीजो को मिट्टी में रहने वाले कीड़ो से बचाने के लिए प्रति किलो की दर से थायोमेथोक्जाम या इमिडाक्लोप्रिड 1 से 2 ग्राम की मात्रा से उपचारित कर लेना चाहिए|| इसके बीजो को बोने के लिए खेत में 75 CM की दूरी रखते हुए, कतारों को तैयार कर लेना चाहिए, तथा प्रत्येक बीज के बीच में 22 CM की दूरी अवश्य रखे | एक एकड़ के खेत में लगभग 21,000 मक्के के पौधों को लगाया जा सकता है

यदि आप चाहे तो इसके बीजो को मार्च के अंत तक बो सकते है, या फिर अक्टूबर से नवंबर तक या फिर जनवरी और फ़रवरी के मध्य भी इसके बीजो की बुवाई को किया जा सकता है |

सिंचाई

पूर्ण रूप से तैयार होने तक 400-600 मिमी पानी की जरूरी होती है | इसकी पहली सिंचाई को बीजो की रोपाई के तुरंत बाद कर देनी चाहिए | इसके बाद जब पौधों में दाने भरने लगे तब इसे सिंचाई की आवश्यकता होती है | मक्के की फसल की सिंचाई बीजो के रोपाई के समय के अनुसार की जाती है | इसके अतिरिक्त मक्के की फसल को खरपतवार से भी बचाना पड़ता है |

पैदावार और लाभ

फलो की तुड़ाई लगायी गई उन्नत किस्म के आधार पर की जाती है | इसके फल कटाई के समय 25% तक नम होते है | मक्के की कटाई के बाद इसकी गहाई की जाती है, जिसमे इसके दानो को निकाला जाता है | दानो को निकालने के लिए सेलर का इस्तेमाल किया जाता है | थ्रेशर का इस्तेमाल कर भी इसके दानो को निकाल सकते है | मक्के की कटाई और गहाई के बाद निकले गए इसके दानो को अच्छी तरह से धूप में सूखा कर भंडारित कर लिया जाता है |एक हेक्टेयर के खेत में सामान्य किस्म के पौधे 35 से 55 क्विंटल की पैदावार देते है, वही संकर किस्म के पौधे 55 से 65 क्विंटल की पैदावार देते है | मक्के का बाजारी भाव 15 से 20 रूपए के मध्य होता है | जिससे किसान भाई इसकी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है |

Tags:
Next Story
Share it