महाराष्ट्र के किसानों का जैविक कृषि का चमत्कार: 120 रुपये में बनाई नेचुरल दवा, 30% तक बढ़ी पैदावार

महाराष्ट्र के किसानों का जैविक कृषि का चमत्कार: 120 रुपये में बनाई नेचुरल दवा, 30% तक बढ़ी पैदावार
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महाराष्ट्र के किसानों का जैविक कृषि का चमत्कार: 120 रुपये में बनाई नेचुरल दवा, 30% तक बढ़ी पैदावार

खेत खजाना: आज के समय में जहां खेती करने के लिए रसायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का बहुतायत में उपयोग किया जा रहा है, वहीं महाराष्ट्र के कुछ किसानों ने जैविक खेती का एक अनोखा तरीका अपनाया है। इन किसानों ने घर पर ही एक ऐसी नेचुरल दवा बनाई है, जिसकी लागत केवल 120 रुपये है और जिससे फसल की पैदावार में 30 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है। इस दवा का इस्तेमाल करने से न केवल कीटाणु से छुटकारा मिलता है, बल्कि जानवरों से भी बचाव होता है। इस दवा को बनाने के लिए आवश्यक सामग्री भी आसानी से मिल जाती है।

इस दवा के बारे में बताते हुए महाराष्ट्र के अमरावती जिले के किसान रविन्द्र मणिकर मेटकार ने कहा कि वे और उनके आस-पास के कई किसान इस दवा का इस्तेमाल करके जैविक खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि आजकल लोग नेचुरल प्रोडक्ट की मांग कर रहे हैं और इसलिए उन्होंने इस दवा को इजाद किया है। यह दवा पूरी तरह से कीटनाशक रहित है और फसलों को जरूरी पोषण प्रदान करती है।

इस दवा को बनाने के लिए इन्हें 1.5 लीटर छाछ, 12 अंडे, 100 ग्राम गुड़, 100 ग्राम फिटकरी और 100 ग्राम चूना की जरूरत पड़ती है। इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर 15-20 दिनों तक छांव में रख देते हैं और रोजाना हिलाते रहते हैं। इसके बाद इसमें से 500 मिलीलीटर दवा को 15 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ खेत में छिड़क देते हैं। इस तरह पूरी फसल के दौरान पांच बार इस दवा का छिड़काव करना होता है। इस दवा से फल, फूल या पौधे किसी भी फसल में छिड़काव कर सकते हैं।

मेटकार ने बताया कि इस दवा के छिड़काव से उनकी फसल की पैदावार में 30 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, इस दवा से उठने वाली गंध से बंदर, सूअर और नील गाय जैसे जानवर भी खेतों में नहीं आते हैं। इससे उन्हें जानवरों से बचाव का भी फायदा मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह दवा पूरी तरह से जैविक है और इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है।

मेटकार ने इस दवा की प्रमाणिकता की जांच कराने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पत्र लिखा है। उन्होंने इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरएआरआई-पूसा) से भी इस दवा के बारे में रिसर्च करने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अगर इस दवा का लाभ देशभर के किसानों को मिल सके तो यह एक क्रांति का काम होगा।

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