Natural farming : जैविक खेती को बढ़ावा, मुफ्त सोलर पंप का तोहफा, किसानों की चमकेगी किस्मत

Natural farming : जैविक खेती को बढ़ावा, मुफ्त सोलर पंप का तोहफा, किसानों की चमकेगी किस्मत
Natural farming : किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है! राज्य सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कमर कस ली है और इसके लिए Farmers encouraged for organic and natural farming techniques को लेकर बड़ा ऐलान किया है। भोपाल में हाल ही में हुई एक कार्यशाला में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ कहा कि जो किसान Organic Farming की राह चुनेंगे, उन्हें मुफ्त सोलर पंप दिए जाएंगे। ये न सिर्फ खेती को आसान बनाएगा, बल्कि पर्यावरण को भी बचाएगा। किसानों की मेहनत को सही दाम दिलाने के लिए हाट-बाजार और मेले लगाने की बात भी सामने आई है। तो चलिए, इस खबर को डिटेल में समझते हैं कि ये योजना कैसे किसानों की जिंदगी बदलने वाली है।
ये सब शुरू हुआ भोपाल में “जैविक कृषि उत्पादन तथा मूल्य संवर्धन” पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला से। यहाँ मुख्यमंत्री ने Sustainable farming और Natural farming को बढ़ावा देने का वादा किया। उनका कहना है कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के बेतहाशा इस्तेमाल से मिट्टी और इंसानों की सेहत को नुकसान हो रहा है। इसे रोकने के लिए Farmers encouraged for organic and natural farming techniques जरूरी है। सरकार ने इस साल 1 लाख एकड़ में जैविक खेती का लक्ष्य रखा है, जिसे आने वाले सालों में 5 लाख हेक्टेयर तक ले जाया जाएगा। और हाँ, मुफ्त सोलर पंप का तोहफा तो बस शुरुआत है। ये कदम न सिर्फ किसानों की जेब भरेगा, बल्कि खेती को हरा-भरा और टिकाऊ बनाएगा।
कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि जैविक उत्पादों को बेहतर कीमत दिलाने के लिए प्रदेश में जगह-जगह हाट-बाजार लगाए जाएंगे। कुछ जिलों और विकासखंडों को प्राकृतिक खेती के लिए आदर्श बनाया जाएगा। साथ ही, जैविक और प्राकृतिक खेती पर मेले लगाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसानों को सही मंच मिले। सोलर पंप की बात करें, तो ये योजना उन किसानों के लिए वरदान साबित होगी जो बिजली की कमी से जूझते हैं। सोलर पंप न सिर्फ मुफ्त बिजली देंगे, बल्कि डीजल पंपों पर होने वाला खर्च भी बचाएंगे। इससे किसानों को लागत कम करने और मुनाफा बढ़ाने का डबल फायदा होगा।
अब बात करते हैं मध्य प्रदेश में जैविक खेती की हकीकत की। यहाँ पहले से ही 20 लाख 55 हजार हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है, जो देश में सबसे ज्यादा है। इसमें वन क्षेत्र भी शामिल है। एपीडा के आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ खेती का रकबा 11.48 लाख हेक्टेयर है। सरकार ने 9 सेवा प्रदाताओं के साथ एमओयू साइन किए हैं, ताकि किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग और संसाधन मिल सकें। पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए भी सरकार सख्त है। 42 हजार 500 से ज्यादा कृषि यंत्र और मशीनें बाँटी गई हैं, जिससे पराली जलाने की घटनाएँ कम हुई हैं। ये सब दिखाता है कि सरकार का फोकस सिर्फ बातों तक नहीं, बल्कि जमीन पर काम करने पर है।
मध्य प्रदेश में जैविक खेती की मिसाल मोगबाई पटेल जैसी महिलाएँ भी बन रही हैं। जैसीनगर के कनेरा गौड़ गाँव में मोगबाई ने अपने 1.5 एकड़ पहाड़ी खेत को सीढ़ीनुमा ढाँचे में बदला और प्राकृतिक खेती शुरू की। वो मिक्स्ड क्रॉपिंग करती हैं—टमाटर, मटर, गेहूँ, चना, अरहर सब कुछ। रासायनिक खाद और दवाइयों को अलविदा कहकर वो केंचुआ खाद इस्तेमाल करती हैं। पिछले साल उनकी फसल से 30 क्विंटल केंचुआ खाद, 25 क्विंटल आलू, 50 क्विंटल टमाटर और ढेर सारे फल-सब्जियाँ बिकीं। इससे उनकी कमाई इतनी हुई कि परिवार की सारी जरूरतें पूरी हो गईं। मोगबाई ने 15 महिलाओं के साथ बलराम जैविक उत्पादक समूह भी बनाया, जिसका सर्टिफिकेशन प्रोसेस चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने ये भी बताया कि मध्य प्रदेश देश के दूध उत्पादन में 9% हिस्सा देता है, जिसे 20% तक ले जाने का लक्ष्य है। सब्जी निर्यात करने वाले किसानों को ट्रांसपोर्ट खर्च में केंद्र और राज्य सरकार की मदद मिल रही है। इसके लिए किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सेवी संगठनों को जोड़कर अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही, इस साल को उद्योग वर्ष घोषित किया गया है। कृषि आधारित उद्योगों पर खास ध्यान दिया जा रहा है, खासकर उन जिलों में जहाँ औद्योगिक विकास कम है। वहाँ कृषि उद्योग लगाकर रोजगार और आय बढ़ाने की कोशिश होगी।
अब जरा आंकड़ों पर नजर डालते हैं, ताकि आपको साफ तस्वीर मिले:
विवरण | डिटेल |
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योजना का नाम | मुफ्त सोलर पंप और जैविक खेती योजना |
लक्ष्य (2025) | 5 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती |
वर्तमान जैविक खेती क्षेत्र | 20.55 लाख हेक्टेयर (सर्वाधिक) |
सोलर पंप का लाभ | मुफ्त बिजली, लागत में कमी |
पराली प्रबंधन | 42,500+ यंत्र वितरित |
दूध उत्पादन लक्ष्य | 9% से 20% तक |
कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि जलवायु क्षेत्रों के हिसाब से जैविक उत्पादन नीति बनाई जाएगी। इससे हर जिले की खासियत के मुताबिक फसलें उगाई जा सकेंगी। मोगबाई जैसे किसानों की मेहनत और सरकार की योजनाएँ मिलकर जैविक खेती को नई ऊँचाइयाँ दे रही हैं। सोलर पंप की सुविधा से जहाँ बिजली का खर्च बचेगा, वहीं प्राकृतिक खेती से मिट्टी की सेहत सुधरेगी। ये सब मिलकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता तैयार कर रहा है।
सोशल मीडिया पर भी इस खबर की खूब चर्चा है। कोई इसे पर्यावरण के लिए बड़ा कदम बता रहा है, तो कोई किसानों की आर्थिक तरक्की की उम्मीद जता रहा है। लेकिन कुछ सवाल भी उठ रहे हैं—क्या ये सोलर पंप हर जरूरतमंद किसान तक पहुँच पाएँगे? क्या हाट-बाजार सचमुच जैविक उत्पादों को सही कीमत दिला पाएँगे? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा। अभी तो इतना साफ है कि Farmers encouraged for organic and natural farming techniques के लिए सरकार पूरी तरह से कमिटेड दिख रही है।
तो दोस्तों, मध्य प्रदेश में जैविक खेती का ये नया दौर किसानों के लिए कितना फायदेमंद होगा, ये तो वक्त बताएगा। लेकिन मुफ्त सोलर पंप और सपोर्ट सिस्टम से उम्मीद की किरण जरूर जगी है। अगर आप भी खेती से जुड़े हैं, तो अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और इन योजनाओं का फायदा उठाएँ। आप क्या सोचते हैं—क्या ये योजना खेती में क्रांति ला पाएगी? अपनी राय हमें जरूर बताएँ!