इन किसानों के लिए वरदान बनीं नई टेक्नोलॉजी, किसानों को मिल रहा फायदा, अब ऐसे पा सकेंगे कम लागत में ज्यादा पैदावार

इन किसानों के लिए वरदान बनीं नई टेक्नोलॉजी, किसानों को मिल रहा फायदा, अब ऐसे पा सकेंगे कम लागत में ज्यादा पैदावार
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इन किसानों के लिए वरदान बनीं नई टेक्नोलॉजी, किसानों को मिल रहा फायदा, अब ऐसे पा सकेंगे कम लागत में ज्यादा पैदावार

खेत खजाना : खेती में नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से किसानों को कई तरह के लाभ मिल रहे हैं। चाहे वो ड्रोन से फसलों की देखभाल हो, या नैनो यूरिया और नैनो डीएपी से उर्वरक की बचत हो, या फिर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (loT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाना हो, नई टेक्नोलॉजी ने खेती को आसान और फायदेमंद बना दिया है।

ड्रोन से फसलों की देखभाल

ड्रोन का उपयोग करके किसान अपनी फसलों की निगरानी कर सकते हैं, जैसे की बीमारियों, कीटों, खरपतवार, सिंचाई, उर्वरक और कटाई की जांच। ड्रोन से किसान को अपनी फसलों की जानकारी रियल-टाइम में मिलती है, जिससे वो समय पर उचित कार्रवाई कर सकते हैं। ड्रोन से किसान अपनी फसलों को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं, जिससे उनकी लागत कम होती है और उपज बढ़ती है।

राजस्थान में करीबन 2000 से अधिक ड्रोन उड़ानें के किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वो इस नई टेक्नोलॉजी की खेती के प्रति ध्यान दें। 1

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी से उर्वरक की बचत

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी वो उर्वरक हैं, जो आम उर्वरकों से काफी छोटे और अधिक प्रभावी होते हैं। इन उर्वरकों का उपयोग करने से किसानों को कम मात्रा में ज्यादा लाभ मिलता है, क्योंकि ये उर्वरक फसलों के जड़ों तक पहुंचते हैं और उन्हें जरूरी पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इन उर्वरकों का उपयोग करने से किसानों को उर्वरक की खरीदारी, भंडारण और छिड़काव की लागत कम होती है, और फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ती है।

केंद्र और राज्य सरकार ने किसानों को इन उर्वरकों के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए हैं। किसान इन उर्वरकों को आसानी से अपने नजदीकी कृषि विकास केंद्रों या कोऑपरेटिव सोसाइटीज से खरीद सकते हैं। राजस्थान में 25 लाख टन यूरिया की खपत होती है। किसान इस नैनो यूरिया और डीएपी के परिणाम से बहुत खुश हैं।

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