अब जलकुंभी सिरदर्द नहीं बल्कि है मुनाफे का सौदा! किसान ने खरपतवार से बनाई खाद

अब जलकुंभी सिरदर्द नहीं बल्कि है मुनाफे का सौदा! किसान ने खरपतवार से बनाई खाद
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तालाब में उगने वाली जलकुंभी, जो एक तरह का खराबी भी हो सकता है, वह अब सिरदर्द नहीं बल्कि उपयोगी सिद्ध हो रही है। एक किसान ने इस अभिशाप माने जाने वाले खतरनाक पौधे को जैविक खाद में बदल दिया है। गांवों में अक्सर यह देखा जाता है कि जहां भी पानी का ठहराव होता है, जैसे कि तालाब या पोखर, वहां खुद ही कई तरह के हानिकारक पौधे उग जाते हैं।

इसमें जलकुंभी पूरे तलाब या पोखरों में फैल जाती है, लेकिन अब किसानों ने इसे उपयोगी बनाने के लिए कदम उठाया है। यह पौधा अब किसी काम का माना जा रहा है, और उसे जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

जलकुंभी को माना जाता है अभिशाप

किसान खुद ही जलकुंभी को तालाब से निकालने में बड़ी मुश्किलों का सामना करते हैं। इसे निकालने के बाद, ऊपर से इस बात की कोई गारंटी नहीं रहती कि अगले साल ये खरपतवार नहीं उगेगें। इसे खरपतवार नाशक की सहायता से भी नष्ट किया जाता है, लेकिन इसका कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तन हो जाता है।

जलकुंभी जो कि एक तरह का खरपतवार है. अधिकांश लोग इसे अब तक अभिशाप ही मानते आए हैं. लेकिन, किसान तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देविनेनी मधुसूदन जो कि एक प्रगतिशील किसान हैं, उन्होंने जलकुंभी का उपयोग करके जैविक खाद बनाई है. इस खाद की कीमत केवल 5 रुपये प्रति कलोग्राम है.

जलकुंभी से बन रही है उच्च श्रेणी की खाद

डीजल इंजन द्वारा संचालित मशीन से पहले तो बड़ी आसानी से जलकुंभी को बाहर निकाला जाता है. इसके बाद इसे कई टुकड़ों में काट लिया जाता है, फिर इन सभी टुकड़ों के उपयोग से उच्च श्रेणी की खाद बनाई जाती है.

इस अनोखी मशीन को गोदास नरसिम्हा ने बनाया है. उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और इस मशीन को बनाने में लग गए थे. वहीं उन्होंने कहा की सरकार को इसमें मदद करनी चाहिए जिससे कई किसानों को इसका फायदा होगा.

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