धान के पौधों में पड़ने लगा है तेला, तो किसान ना हो परेशान, अपनाएं बिना एक भी पैसा खर्च किए ये देसी नुस्खा

तेज बढ़ने वाली हॉपर बर्न नामक कीड़ी बीमारी ने धान के खेतों के किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। यह कीड़ा अपनी गहरी नींद में बैठकर प्याज की बुल्बीलों से खेत की ऊपरी पत्तियों को चुसता है, जिससे फसल सूख जाती है।

धान के पौधों में पड़ने लगा है तेला, तो किसान ना हो परेशान, अपनाएं बिना एक भी पैसा खर्च किए ये देसी नुस्खा
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धान के पौधों में पड़ने लगा है तेला, तो किसान ना हो परेशान, अपनाएं बिना एक भी पैसा खर्च किए ये देसी नुस्खा

तेज बढ़ने वाली हॉपर बर्न नामक कीड़ी बीमारी ने धान के खेतों के किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। यह कीड़ा अपनी गहरी नींद में बैठकर प्याज की बुल्बीलों से खेत की ऊपरी पत्तियों को चुसता है, जिससे फसल सूख जाती है। इसके लिए परंतु अब नए देसी तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे खेतों को इस खतरनाक बीमारी से बचाया जा सके।

देसी जुगाड़ से तेला की बीमारी का खेला खत्म:

कीटनाशकों के प्रयोग की जगह अब एक देसी तरीके का उपयोग किया जा रहा है, जिससे तेला की बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। खेत में ट्यूबवेल की दीवार पर पीले रंग करके बाहर एक बल्ब जलाने से तेला कीड़े का प्रतिरोध हो सकता है। इसके आसपास लगाए गए ग्रीस उसे आकर्षित करेगी और वह ग्रीस पर चिपक जाएगा। इस प्रकार की विशेषज्ञता से बचाव किया जा सकता है।

कैसे करें बचाव:

पीले रंग का प्रयोग: खेत में ट्यूबवेल की दीवार पर पीले रंग करें, क्योंकि यह रंग कीटों को आकर्षित करता है।

बल्ब का उपयोग: दिन में खेत में बल्ब जलाएं, जिससे कीट बाहर आने में समस्या हो।

ग्रीस का लागू करें: ग्रीस को दीवार पर लगाएं, जिससे कीट उस पर चिपक जाएगा और बीमारी से छुटकारा मिलेगा।

फायदे:

कीटनाशकों के बिना भी खेतों को तेला की बीमारी से छुटकारा मिलेगा।

देसी तरीकों का इस्तेमाल करके खेतों की उपज में सुधार हो सकता है।

खेती को सस्ते और प्राकृतिक तरीके से बचाव करने का अवसर मिलेगा।

निष्कर्ष:

तेला की बीमारी से बचाव के लिए परंतु देसी तरीके का उपयोग करना अब किसानों के लिए संभव है। इससे न केवल खेती को बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह प्राकृतिक तरीके से पेशेवर भी है, जिससे पूरे समुदाय का भलाई हो सकता है।

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