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अफीम की खेती में नशेड़ी तोतों का कहर, किसानों की परेशानियों का बढ़ा दायरा

फीम की खेती में नशेड़ी तोतों के कारण किसानों को हो रहा भारी नुकसान। जानिए कैसे ये तोते अफीम के डोडों को चट कर जाते हैं और किस तरह किसान इससे जूझ रहे हैं।

अफीम की खेती में नशेड़ी तोतों का कहर: किसानों के लिए नया संकट

बाराबंकी जिले में इन दिनों अफीम की खेती में एक नया संकट सामने आ रहा है। अफीम के पौधों के आसपास मंडराते नशेड़ी तोते, किसानों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। यह तोते अफीम के डोडों का मादक दूध चखकर नशे के आदि हो जाते हैं, और देखते ही देखते खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। किसान इन तोतों से परेशान हैं क्योंकि ये बिना किसी डर के अफीम के डोडों को तोड़कर उनका सेवन कर लेते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ये तोते अफीम की खेती के लिए खतरा बन गए हैं और किसानों को इस समस्या से निपटने के लिए कौन-कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।


अफीम की खेती: एक संवेदनशील मामला

अफीम की खेती भारत में एक संवेदनशील और नियंत्रित प्रक्रिया है। अफीम के पौधों से मिलने वाले डोडों में मादक पदार्थ होता है, जिसे नशे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इस फसल को खेती करने के लिए किसानों को लाइसेंस की आवश्यकता होती है, और इसकी खेती कम मात्रा में की जाती है। लेकिन बाराबंकी जिले में इन दिनों नशेड़ी तोते अफीम की फसल को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं।


तोते का नशे की आदत में बदलाव

तोते आमतौर पर उड़ने वाले पक्षी होते हैं, लेकिन अफीम के पौधों में लगे डोडों से निकलने वाला मादक दूध उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है। यह तोते डोडे से अफीम निकालते हैं और फिर इसका सेवन करने लगते हैं। धीरे-धीरे ये तोते अफीम के डोडों के प्रति आदी हो जाते हैं और दिनभर इस पर मंडराते रहते हैं। सुबह से लेकर शाम तक, इन तोतों का अफीम के पौधों में हुड़दंग मचा रहता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है।


किसानों को हो रहा नुकसान

बाराबंकी जिले में किसानों को तोतों के कारण काफी नुकसान हो रहा है। अफीम के एक डोडे में लगभग 25 से 30 ग्राम अफीम होती है, और यह तोते दिनभर में अच्छी खासी मात्रा में अफीम चुरा लेते हैं। इस तरह के नुकसान से किसानों को फसल का भारी घाटा हो रहा है। किसानों का कहना है कि यह तोते इतनी जल्दी डोडे तोड़कर भाग जाते हैं कि वे इन्हें पकड़ने या भगाने का कोई तरीका नहीं खोज पाते।


नीलगाय से भी अफीम की फसल को खतरा

अफीम की फसल केवल तोतों से ही नहीं, बल्कि नीलगाय से भी खतरे में रहती है। यदि नीलगाय और तोते एक बार अफीम का स्वाद चख लें, तो वे बार-बार उस खेत में आकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। अफीम की फसल के लिए ये दोनों ही प्राणी बहुत बड़ा खतरा साबित होते हैं।


अफीम की फसल की रखवाली: एक कठिन चुनौती

अफीम की खेती करना आसान नहीं है, क्योंकि इसकी रखवाली करना एक बड़ी चुनौती बन जाता है। अफीम के खेतों में दिन-रात नशेड़ी तोते मंडराते रहते हैं, और किसान शोर मचाने या गुलेल चलाने से ही इन्हें दूर कर पाते हैं। लेकिन फिर भी तोते अफीम के डोडों का नुकसान कर जाते हैं। किसान अब अफीम की फसल की सुरक्षा के लिए नए उपायों की तलाश कर रहे हैं ताकि वे इन नशेड़ी तोतों से अपनी फसल को बचा सकें।


नशेड़ी तोते और किसानों के बीच बढ़ती जंग

अफीम की खेती में इन नशेड़ी तोतों का हुड़दंग किसानों के लिए एक नई चुनौती बन चुका है। जबकि किसान अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं, तोते इन उपायों से बेखबर अपनी मर्जी से डोडे चट कर जाते हैं। इस स्थिति में किसानों के पास अफीम की फसल की सुरक्षा के लिए सिर्फ कुछ पारंपरिक उपाय हैं, जैसे गुलेल चलाना या शोर मचाना। हालांकि, इन उपायों से स्थिति पर पूरी तरह से काबू पाना मुश्किल हो रहा है।


निष्कर्ष

अफीम की खेती एक जोखिम भरी प्रक्रिया है, और अब इसमें नशेड़ी तोतों के कारण किसानों को नई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार और किसानों को मिलकर कोई ठोस उपाय करना होगा ताकि अफीम की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले इन पक्षियों से बचा जा सके। इस मुद्दे पर जल्द से जल्द ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि किसानों को राहत मिल सके और अफीम की खेती का सही तरीके से संचालन हो सके।

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