450 बीघा में की आर्गेनिक जीरे की खेती, उत्पादन होगा 36,000 क्विंटल, समझो बन गया करोड़पति, किसान की महनत देख हर कोई हैरान

450 बीघा में की आर्गेनिक जीरे की खेती, उत्पादन होगा 36,000 क्विंटल, समझो बन गया करोड़पति, किसान की महनत देख हर कोई हैरान
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450 बीघा में की आर्गेनिक जीरे की खेती, उत्पादन होगा 36,000 क्विंटल, समझो बन गया करोड़पति, किसान की महनत देख हर कोई हैरान

खेत खजाना, बाड़मेर: ऑर्गेनिक जीरे की खेती का मतलब है कि जीरे को बिना किसी रसायनिक खाद या कीटनाशक के उपयोग के उगाया जाता है। इससे जीरे की गुणवत्ता और स्वाद में बेहतरी आती है। ऑर्गेनिक जीरे की खेती करने वाले किसानों को अधिक मुनाफा भी मिलता है, क्योंकि ऑर्गेनिक जीरा बाजार में अधिक मांग रखता है।

ऑर्गेनिक जीरे की खेती करने का एक बेहतरीन उदाहरण है बाड़मेर के युवा किसान विक्रम सिंह तारातरा का। उन्होंने 450 बीघा जमीन पर ऑर्गेनिक जीरे की खेती करके एक कीर्तिमान स्थापित किया है। उनकी फसल का अनुमानित उत्पादन 36000 क्विंटल है, जिससे वे करोड़पति बन चुके हैं।

विक्रम सिंह तारातरा ने अपने गांव में ऑर्गेनिक जीरे की पहली बार खेती की है। उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर इस फैसले को लिया था। उन्होंने अपने खेतों में जहरीले रसायनों का उपयोग बंद कर दिया और देशी बीज और देशी खाद का इस्तेमाल किया। उन्होंने 151 किस्म के जीरे की बुआई की और 450 बीघा में 650 किलो जीरे का बीज बोया।

उनका कहना है कि ऑर्गेनिक जीरे की खेती करने से उन्हें कई फायदे हुए हैं। पहला तो यह कि उनकी फसल की गुणवत्ता और स्वाद बहुत अच्छा हुआ है। दूसरा यह कि उनकी फसल की मांग बहुत ज्यादा हुई है। उन्होंने अपनी फसल के लिए कई मल्टीनेशनल कंपनियों से संपर्क किया है और उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं। उनका कहना है कि उनका जीरा दुबई सहित विदेशों में भी एक्सपोर्ट किया जा रहा है।

तीसरा फायदा यह है कि उनकी खेती से उनके खेतों की उर्वरकता भी बढ़ी है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में जैविक खेती के तरीके अपनाए हैं, जैसे जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, जलवायु सहिष्णु फसलें, जल संरक्षण आदि। इससे उनके खेतों में जमीन का फर्टिलिटी बढ़ा है और उन्हें अधिक उपज मिली है।

विक्रम सिंह तारातरा की ऑर्गेनिक जीरे की खेती की कहानी एक प्रेरणा है उन सभी किसानों के लिए, जो अपनी खेती में जहरीले रसायनों का उपयोग करके अपनी जमीन और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्हें भी ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए और अपनी फसल को बेहतर बनाना चाहिए।

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