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Paddy care tonic: शीथ ब्लाइट रोग से कैसे बचाएं धान की फसल, जानें कृषि विशेषज्ञों की राय

धान की फसल में शीथ ब्लाइट रोग का प्रकोप किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। यह रोग फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है

Paddy care tonic: शीथ ब्लाइट रोग से कैसे बचाएं धान की फसल, जानें कृषि विशेषज्ञों की राय

 

धान की फसल में शीथ ब्लाइट रोग का प्रकोप किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। यह रोग फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है, अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाए। जिले के माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. सौरभ ने इस रोग के लक्षणों और बचाव के उपायों पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।

शीथ ब्लाइट रोग, जिसे मुख्य रूप से धान की फसल में देखा जाता है, मृदा जनित रोग है। इस रोग का नाम “शीथ ब्लाइट” इसलिए रखा गया है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण पत्तियों के शीथ पर दिखाई देते हैं। शुरू में, पत्तियों के शीथ पर 2-3 सेंटीमीटर लंबे हरे से भूरे रंग के धब्बे बनते हैं, जो समय के साथ पूरे शीथ को प्रभावित कर सकते हैं। रोगग्रस्त पौधे धीरे-धीरे सूख जाते हैं और पुआल की तरह हो जाते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता पर गंभीर असर पड़ता है।

इस रोग का प्रकोप मुख्य रूप से उन खेतों में होता है जहाँ जल जमाव की स्थिति होती है। अगर शीथ ब्लाइट का प्रकोप बढ़ जाए, तो यह सबसे ऊपर की पत्ती (फ्लैग लीफ) तक पहुँच सकता है, जिससे धान की बालियों में दाने पूरी तरह से नहीं भर पाते। आमतौर पर, इस रोग के लक्षण सबसे पहले खेतों के मेढ़ों के पास और उन जगहों पर देखे जाते हैं जहाँ खरपतवार और जल जमाव की समस्या होती है।

शीथ ब्लाइट रोग से बचाव
डॉ. सौरभ ने बताया कि शीथ ब्लाइट से बचाव के लिए किसानों को सावधानीपूर्वक उपाय करने की आवश्यकता है।

खेत में बिचड़े को लगाने से पहले, 25 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद में एक किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाकर खेत की जुताई करें। इसके बाद, पाटा लगाकर धान की फसल लगाएं। यह उपाय रोग के प्रकोप को कम करने में मदद करता है।

प्रति लीटर पानी में 1 एमएल थिफ्लुज़ामाइड नामक दवा मिलाकर पूरे खेत में ड्रेंचिंग करें। इसके अलावा, प्रोपिकोनाजोल (500 मिली) का प्रति हेक्टेयर फसल पर छिड़काव करें। यह फसल को शीथ ब्लाइट रोग से बचाने में सहायक होता है। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें ताकि जल जमाव न हो। यह रोग की संभावना को कम करता है।

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