पीएम कुसुम योजना: इन 21 जिलों में फ्री सोलर पंप योजना आवेदन शुरू, पाएं सोलर पंप के लिए सब्सिडी
पीएम कुसुम योजना: इन 21 जिलों में फ्री सोलर पंप योजना आवेदन शुरू, पाएं सोलर पंप के लिए सब्सिडी
खेत खजाना: नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए एक नई योजना शुरू की है, जिसका नाम है प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM)। इस योजना के तहत, किसानों को सोलर पंप लगवाने के लिए 75% तक की सब्सिडी मिलेगी। इससे किसानों को कृषि सिंचाई के लिए डीजल या बिजली का खर्च नहीं करना पड़ेगा और वे अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं।
इस योजना का लक्ष्य है कि देश के 3 करोड़ किसानों को अगले 10 वर्षों में सोलर पंप प्रदान किये जाएं। इसके अलावा, किसान अपनी बंजर या परती भूमि पर 2 मेगावाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्र भी लगा सकते हैं और उसकी बिजली अपनी जरूरत के अनुसार उपयोग कर सकते हैं या फिर राज्य नियामक द्वारा निर्धारित दर पर डिस्कॉम को बेच सकते हैं।
इस योजना का उद्देश्य है कि किसानों को टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने में प्रोत्साहित किया जाए और उनकी आय में वृद्धि हो। इससे देश की ऊर्जा आवश्यकता को कम करने और ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को रोकने में भी मदद मिलेगी।
पीएम कुसुम योजना के लिए आवेदन कैसे करें
इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए, किसानों को अपने राज्य की कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। वहां पर पीएम कुसुम पंजीकरण के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। फिर आवेदन फॉर्म में अपनी जानकारी और दस्तावेज भरना होगा। आवेदन फॉर्म में आधार कार्ड, वोटर कार्ड, कृषि जमीन का प्रमाण, बैंक खाता संख्या और आवेदन फॉर्म की कॉपी अपलोड करनी होगी। फिर सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक कर देना होगा।
आवेदन करने के बाद, किसानों को एक पंजीकरण संख्या मिलेगी, जिसकी मदद से वे अपने आवेदन की स्थिति चेक कर सकते हैं। आवेदन की स्थिति चेक करने के लिए, किसानों को वेबसाइट पर जाकर अपनी पंजीकरण संख्या और आधार संख्या डालनी होगी।
पीएम कुसुम योजना के लाभ
इस योजना के तहत, किसानों को निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
किसानों को सोलर पंप लगवाने के लिए 75% तक की सब्सिडी मिलेगी।
किसानों को कृषि सिंचाई के लिए डीजल या बिजली का खर्च नहीं करना पड़ेगा।
किसानों को अपनी बंजर या परती भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर बिजली उत्पादन कर सकते हैं और उसकी बिक्री करके अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।
किसानों को टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने में प्रोत्साहित किया जाएगा।
देश की ऊर्जा आवश्यकता को कम करने और ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को रोकने में मदद मिलेगी।