राजस्थान किसानों की हुई बल्ले बल्ले, बाजरे ने मिलाया गेहूं से हाथ, भाव पहुंचा ₹2600 प्रति क्विंटल, क्या बाजरा गेहूं को भी पीछे छोड़ेगा?

हरियाणा, पंजाब, और गुजरात में बाजरे की मांग बढ़ रही है, खासकर मुर्गी पालन उद्योग से जुड़े लोगों के बीच।

राजस्थान किसानों की हुई बल्ले बल्ले, बाजरे ने मिलाया गेहूं से हाथ, भाव पहुंचा ₹2600 प्रति क्विंटल, क्या बाजरा गेहूं को भी पीछे छोड़ेगा?
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राजस्थान किसानों की हुई बल्ले बल्ले, बाजरे ने मिलाया गेहूं से हाथ, भाव पहुंचा ₹2600 प्रति क्विंटल, क्या बाजरा गेहूं को भी पीछे छोड़ेगा?

केंद्र सरकार के प्रोत्साहन से बाजरे की खेती में बढ़ते रुझान ने गेहूं के साथ इसके भाव को बराबरी पर पहुंचा दिया है। सरकारी प्रोत्साहन ने किसानों के चेहरे पर खुशियां ला दी है

बाजरे के भाव

रुझान में वृद्धि

2014 में की गई 300% की वृद्धि से बाजरे की खेती में उत्साह बढ़ा है। वर्तमान में, बाजरे और गेहूं के भाव लगभग बराबर हैं, जो किसानों को आकर्षित कर रहा है। अलवर शहर की कृषि उपज मंडी में साल 2022: बाजरे की आवक में 1,97,241 क्विंटल की वृद्धि हुई है। 2022 में समर्थन मूल्य 2350 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 2500 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है।

बाजरे की मांग

राज्यों में मांग: हरियाणा, पंजाब, और गुजरात में बाजरे की मांग बढ़ रही है, खासकर मुर्गी पालन उद्योग से जुड़े लोगों के बीच।

किसानों के लिए लाभकारी खेती: बाजरे की खेती में कम लागत और प्राकृतिक आपदाओं से कम नुकसान के साथ किसानों के लिए लाभकारी है।

सरकारी प्रोत्साहन

सरकारी प्रोत्साहन से बाजरे का उपयोग बढ़ रहा है, जिसे अब पौष्टिक अनाज के रूप में माना जा रहा है। बाजरे का उपयोग गरीबी के भोजन से बाहर निकलकर, हर वर्ग में बढ़ रहा है और पशुओं के लिए पौष्टिक आहार के रूप में भी उपयोग हो रहा है

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