अल्मोड़ा में मोटे अनाज की खेती में कमी: किसानों का संघर्ष
अल्मोड़ा जिले के किसान अपनी खेतों में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। सड़क, स्वास्थ्य, और शिक्षा के अभाव में गांवों से पलायन हो रहा है, जिससे ग्रामीण जीवन कठिन हो रहा है।
अल्मोड़ा जिले में मोटे अनाज की खेती के किसानों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2021-22 में मोटे अनाज की खेती के क्षेत्रफल में और उत्पादन में गिरावट आई है, जिसके कई कारण हैं। इस लेख में, हम इस समस्या के कारणों को समझेंगे और किसानों के संघर्ष को जानेंगे।
किसानों की जिंदगी: संकटों का सामना
अल्मोड़ा जिले के किसान अपनी खेतों में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। सड़क, स्वास्थ्य, और शिक्षा के अभाव में गांवों से पलायन हो रहा है, जिससे ग्रामीण जीवन कठिन हो रहा है। पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, अल्मोड़ा जिले से सबसे अधिक पलायन हुआ है। इसके साथ ही, जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा जानवरों का आतंक भी बढ़ गया है, जिससे किसानों को और भी मुश्किलें हो रही हैं। इन जानवरों की खेती को नुकसान पहुंचा रहे हैं और इसका असर खेती के उत्पादन पर भी पड़ रहा है।
जानवरों का आतंक:
आतंकी जानवर नुकसान
बंदर फसलों पर हमले
जंगली सुअर खेतों की बरबादी
आवारा जानवरों का संकट किसानों की मेहनत को पानी फेर रहा है, और इसका उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है।**
मोटे अनाज की खेती में गिरावट:
अल्मोड़ा जिले में मोटे अनाज की खेती में एक वर्ष में कमी आई है, जिससे किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यहां कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों के आधार पर देखा जा सकता है:
मोटे अनाज की खेती के आंकड़े:
वर्ष क्षेत्रफल (हेक्टेयर) उत्पादन (क्विंटल)
2021-22 38,306 5,16,378.72
2022-23 32,318 4,29,592
यहां साफ दिखता है कि 2022-23 में मोटे अनाज की खेती के क्षेत्रफल में 5925 हेक्टेयर की कमी आई है, और उत्पादन में 86,786 क्विंटल की कमी आई है।
किसानों की चिंता:
किसानों के मन में यह सवाल है कि क्यों मोटे अनाज की खेती में गिरावट आई है। वे इस समस्या के समाधान की तलाश में हैं और कृषि विभाग की चिंता बढ़ा रहे हैं।
कृषि विभाग का पक्ष:
मुख्य कृषि अधिकारी धनपत कुमार के मुताबिक, इस वर्ष खेती का क्षेत्रफल बढ़ रहा है और उत्पादन में भी सुधार होने की उम्मीद है। वह यह बताते हैं कि बीते वर्ष मोटे अनाज की खेती के क्षेत्रफल में कमी आई थी, जो अब सुधार हो रहा है।
कारण: खेती में गिरावट
अल्मोड़ा जिले में मोटे अनाज की खेती में गिरावट के कई कारण हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
आवारा जानवरों का प्रकोप: जानवरों का बढ़ता प्रकोप किसानों की फसलों को क्षति पहुंचाने का मुख्य कारण है। खेतों में बंदर, जंगली सुअर, और अन्य आवारा जानवर हमले करके किसानों की मेहनत को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
उत्पादन की तकनीकी समस्याएं: किसानों के पास उत्पादन की तकनीकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है, जिससे उत्पादन में कमी आ रही है।
जलवायु परिवर्तन: अनियमित मौसम और अच्छी बर्फबारी की कमी किसानों के लिए समस्या बन रही है।
बीमा की कमी: किसानों के पास फसल बीमा की कमी के कारण, आपदाओं में उनका नुकसान पूरी तरह से नहीं कवर हो रहा है।
किसानों की जागरूकता की कमी: किसानों को नई तकनीकों और कृषि अनुसंधान की कम जागरूकता है, जिससे उन्हें अच्छी खेती की प्रक्रिया का पता नहीं चलता है।
किसानों के लिए समाधान:
किसानों को इन समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कुछ कदम उनकी सहायता कर सकते हैं:
आवारा जानवरों के खिलाफ उपाय: सरकार को आवारा जानवरों के संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
तकनीकी समस्याओं का समाधान: किसानों को उत्पादन में तकनीकी समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
बीमा सुविधा: किसानों को फसल बीमा की सुविधा का उचित तरीके से उपयोग करना चाहिए, ताकि आपदाओं में उनका नुकसान कवर हो सके।
कृषि जागरूकता: किसानों को नई तकनीकों और खेती के बेहतर तरीकों की जागरूकता दिलाने के लिए कृषि विभाग को जोरदार प्रयास करने की आवश्यकता है।
समापन:
अल्मोड़ा जिले में मोटे अनाज की खेती के किसान अब समस्याओं का समाधान खोज रहे हैं। सरकार को भी किसानों की समस्याओं का समर्थन करने की जरूरत है। किसानों को तकनीकी ज्ञान, बीमा की सुविधा, और आवारा जानवरों के खिलाफ उपाय उपलब्ध कराकर, मोटे अनाज की खेती में सुधार किया जा सकता है और उन्हें लाभान्वित किया जा सकता है।