चावल ड्रोन: धान की खेती में आई नई तकनीक, किसानों को मिलेगा दुगुना फायदा

धान की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. अब वे अपने खेतों में ड्रोन का इस्तेमाल करके धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं. इससे उन्हें पानी, उर्वरक, कीटनाशक और श्रम की बचत होगी. इसके साथ ही उनकी आय और मुनाफा भी बढ़ेगा

चावल ड्रोन: धान की खेती में आई नई तकनीक, किसानों को मिलेगा दुगुना फायदा
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चावल ड्रोन

यह सब मुमकिन होगा चावल ड्रोन की मदद से, जिसे तेलंगाना की एक कंपनी मारुत ड्रोन (Marut Drones) ने विकसित किया है. इस ड्रोन को हाल ही में उसके ‘मल्टी-नोजल बीज वितरण उपकरण’ के लिए पेटेंट भी मिला है.

यह पेटेंट दुनिया का पहला जनकेंद्रित पेटेंट है, जिसे अधिनियम, 1970 के तहत 20 वर्षों के लिए दिया गया है. इसका मतलब है कि इस ड्रोन को बनाने और बेचने का अधिकार सिर्फ मारुत ड्रोन को ही है. इस ड्रोन को प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (PJTSAU) के सहयोग से तैयार किया गया है. इसमें एक मल्टी-नोजल बीज वितरण उपकरण लगा है, जो खेतों में बीज को बराबर मात्रा में बिखेरता है. इससे बीज की बर्बादी नहीं होती है और फसल का उत्पादन भी बढ़ता है.

ड्रोन से कम होगा पानी और उर्वरक का उपयोग

चावल ड्रोन का उपयोग करने से किसानों को पानी और उर्वरक का कम उपयोग करना पड़ेगा. आम तौर पर, धान की खेती में पानी की बहुत जरूरत होती है. लेकिन ड्रोन से बीज बोने से पानी की मात्रा कम हो जाती है. इससे जल संरक्षण होता है और सूखे का खतरा कम होता है. इसी तरह, ड्रोन से उर्वरक और कीटनाशक का भी छिड़काव किया जा सकता है. इससे उर्वरक और कीटनाशक की लागत कम होती है और फसल की गुणवत्ता भी बढ़ती है.

ड्रोन से बढ़ेगी आय और मुनाफा

चावल ड्रोन का उपयोग करने से किसानों की आय और मुनाफा भी बढ़ेगा. ड्रोन से बीज बोने से फसल का उत्पादन बढ़ता है और बीज की बचत होती है. इससे किसानों को अधिक दाम मिलते हैं. इसके अलावा, ड्रोन से पानी, उर्वरक, कीटनाशक और श्रम की बचत होती है. इससे किसानों का खर्च कम होता है और लाभ ज्यादा होता है. मारुत ड्रोन के CEO और फाउंडर ने कहा कि ड्रोन से धान की खेती करने वाले किसानों का रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI) तेजी से बढ़ता है और उनकी प्रोफिटेबिलिटी की टाइमलाइन 3 साल से 17 महीने तक कम हो जाती है.

ड्रोन से कम होगी श्रम की कमी और प्रदूषण

चावल ड्रोन का उपयोग करने से किसानों को श्रम की कमी और प्रदूषण से भी छुटकारा मिलेगा. आजकल, शहरीकरण के कारण कृषि मजदूरों की कमी हो रही है. इससे किसानों को अपने खेतों में बीज बोने, उर्वरक और कीटनाशक लगाने,

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