किसानों के खातों में पहुंचे 13,056 करोड़ रुपये, गन्ने की पेराई जारी
महाराष्ट्र में चल रहे गन्ने की पेराई सीजन के दौरान किसानों को नई समस्याएं देखने को मिल रही हैं।
महाराष्ट्र में चल रहे गन्ने की पेराई सीजन के दौरान किसानों को नई समस्याएं देखने को मिल रही हैं। वर्तमान में 202 मिलें गन्ने की पेराई कर रही हैं और इस समय तक 441.01 लाख टन गन्ने का उपयोग चीनी बनाने के लिए किया गया है, जिसकी कीमत करीब 13,642 करोड़ रुपये है। हालांकि, चीनी मिलों ने किसानों को 13,056 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है, जिससे यह साबित होता है कि मिलों के प्रति अब भी 586 करोड़ का बकाया है।
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय 85 चीनी मिलों ने एफआरपी का 100 प्रतिशत तक भुगतान किया है, जबकि 50 मिलों ने कुल एफआरपी का 60 से 80 प्रतिशत के बीच भुगतान किया है। हालांकि, 117 फैक्ट्रियों का इस सीजन का भुगतान अभी भी लंबित है और इसके चलते किसानों में असंतुष्टि बढ़ रही है। किसान संगठनों के अनुसार, चीनी मिलों को जल्दी से एफआरपी का पूरा भुगतान करना चाहिए ताकि किसान समय पर अपनी बाकी फसलों की बुवाई कर सकें।
महाराष्ट्र के लातूर में किसानों ने सोयाबीन के दाम में बढ़ोतरी की मांग की है और टमाटर के आयात को बंद करने की मांग की है। उन्होंने सूखा घोषित करके मुआवजा दिलाने की मांग भी उठाई है। किसानों ने शहर के हरंगुल रेलवे स्टेशन पर रेल रोको आंदोलन की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
इसके बावजूद, वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीबी थोम्बारे ने कहा है कि मिलों को गन्ने की कमी के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने राज्य में हुई बारिश को गन्ने की फसल में 8-10 प्रतिशत की अप्रत्याशित वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया। थोंबरे ने कहा कि उपज में बढ़ोतरी से राज्य में कुल चीनी उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
यहां तक कि कर्नाटक के कुछ मिलों ने किसानों से गन्ने का परिवहन न करने की अपील की है, जिससे वह सीधे फसल पैदावार पर भारी पड़ सकती है। इस समय मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों में गन्ना किसानों को चिंता का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि गन्ना उठाने में देरी और घटते जल भंडारों से फसल की पैदावार पर सीधा असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है।
सभी इन विषयों पर चर्चा करते हुए, किसान संगठनों ने चीनी मिलों से त्वरित भुगतान की मांग की है ताकि किसान समय पर अपनी बाकी फसलों की बुवाई कर सकें और उन्हें उचित मुआवजा मिले। यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि सभी मिलें और किसान संगठन एक-दूसरे के साथ सहयोग करें और गन्ना से संबंधित समस्याओं का समाधान निकालें।