भयंकर गर्मी की लू से ऐसे बचाएँ ड्रैगन फ्रूट की खेती, ICAR ने बताए खाश टिप्स

भारत में दक्षिण और उत्तर क्षेत्रों में गर्मी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इससे न केवल लोग परेशान हैं, बल्कि पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को भी नुकसान हो रहा है।

भयंकर गर्मी की लू से ऐसे बचाएँ ड्रैगन फ्रूट की खेती, ICAR ने बताए खाश टिप्स
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भारत में दक्षिण और उत्तर क्षेत्रों में गर्मी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इससे न केवल लोग परेशान हैं, बल्कि पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को भी नुकसान हो रहा है। भीषण गर्मी और लू के कारण पेड़-पौधे जल रहे हैं। इस मौसम में पेड़ों को बचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ज्यादा गर्मी के दिनों में भारत के कुछ राज्यों में (दक्षिणी भारत, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कोलकाता) जलने की समस्या आम है, जहां तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाता है। इस मौसम में पेड़-पौधों को बचाने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं।

ड्रैगन फ्रूट की खेती भारत में कुछ राज्यों में की जाती है और यह किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प है। इसमें सिर्फ एक बार पैसा लगाने पर भी आप 40 साल तक इससे मुनाफा पा सकते हैं।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए बीज से लगाना अधिक समय लेता है, इसलिए कलमों का प्रयोग किया जाता है। पेड़ों की बेहतर वृद्धि के लिए उन्हें अच्छी रोशनी और धूप वाले क्षेत्र में लगाना चाहिए।

ड्रैगन फ्रूट के बगीचे की सिंचाई से फसल की धूप से जलने की चोट से बचाव किया जा सकता है। इसके लिए एंटी-ट्रांसपिरेंट्स जैसे काओलिनाइट, नीम साबुन, समुद्री घास के अर्क और ह्यूमिक एसिड का छिड़काव करना फायदेमंद हो सकता है।

जनवरी, मार्च माह के दौरान एंटी-ट्रांसपिरेंट्स [काओलिनाइट (50 ग्राम प्रति लीटर पानी) + नीम साबुन (4 ग्राम प्रति लीटर पानी) के साथ समुद्री घास के अर्क और ह्यूमिक एसिड (4 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें. यह सन बर्न से होने वाले नुकसान, फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण को भी कम करता है. ड्रैगन फ्रूट के बगीचे (8-10 लीटर/पोल) की सिंचाई से फसल की धूप से जलने की चोट के प्रति सहनशीलता बढ़ जाती है.

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