Sirohi Goat Farming : सिरोही बकरे-बकरी जो देशभर में चर्चित, सिरोही बकरी एक दिन में 750 ग्राम से लेकर एक लीटर तक दूध देती है, दूध-मीट के लिए पसंद किए जाते हैं।

Sirohi Goat Farming : सिरोही बकरे-बकरी जो देशभर में चर्चित, सिरोही बकरी एक दिन में 750 ग्राम से लेकर एक लीटर तक दूध देती है, दूध-मीट के लिए पसंद किए जाते हैं।
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Sirohi Goat Farming : सिरोही बकरे-बकरी जो देशभर में चर्चित, सिरोही बकरी एक दिन में 750 ग्राम से लेकर एक लीटर तक दूध देती है, दूध-मीट के लिए पसंद किए जाते हैं।

खेत खजाना : Sirohi Goat Farming, राजस्थान के सुंदर और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जिले, सिरोही, अब नए चेहरे के उत्पादक के रूप में उभर रहा है। इस जिले की खास नस्ल, जिसे हम सिरोही बकरी कहते हैं, देशभर में दूध और मीट के लिए लोकप्रिय हो रही है। इस खास नस्ल के बकरे-बकरियों की पहचान है उनके ऊचे दूध उत्पादन और मांस की उत्कृष्ट गुणवत्ता से।

सिरोही नस्ल की बकरी एक दिन में 750 ग्राम से लेकर एक लीटर तक दूध देती है, जिससे यह साबित होता है कि इस नस्ल का दूध सामान्य बकरियों के मुकाबले उत्कृष्ट है। इसके बकरे का वजन 50 से 60 किलो तक हो जाता है, जिससे यह बकरी उच्च वजन की होने के बावजूद दूध प्रदर्शन में भी अग्रणी है। छोटे किसानों के बकरी पालन के लिए यह नस्ल बहुत ही उपयुक्त है, क्योंकि इसमें पालन के लिए खर्च कम होता है और उत्पादन अधिक होता है।

देश में उपलब्ध 37 नस्लों में से सिरोही नस्ल को पालन करने के लिए खास खर्च की आवश्यकता नहीं है, इससे यह साबित होता है कि यह एक आर्थिक और प्रदुष्ट विकल्प है। इसकी एक खास बात यह है कि अब बकरी के दूध की डिमांड में भी वृद्धि हो रही है, जिससे यह किसानों को सिरोही नस्ल की बकरियों को पालने में और भी रुचिकर हो रहा है।

सिरोही नस्ल की बकरी न केवल दूध बल्कि मीट के लिए भी अच्छी मानी जाती है। इस नस्ल की बकरी एक दिन में 750 ग्राम से लेकर एक लीटर तक दूध देती है, जिससे इसका दूध किसी भी अन्य नस्ल के बकरियों के मुकाबले अधिक मानदंड प्रदान करता है। इसके साथ ही, इसके मीट की भी गुणवत्ता बहुत उच्च है, जिससे यह बकरी बीमारियों से मुकाबले में भी अग्रणी बनती है।

सिरोही नस्ल के बकरों का आकार छोटा होता है, और इसका रंग भूरा होता है, जिससे इसका विशेष चेहरा होता है। इसके कान चपटे और लटके हुए होते हैं, जबकि सींग मुड़े हुए होते हैं। इसके बाल छोटे और मोटे होते हैं, और इसकी 60 प्रतिशत से ज्यादा संभावना होती है कि यह दो बच्चों को जन्म देगी।

इस नस्ल की बकरियों का आहार भी विशेष है और इन्हें बहुत ही जिज्ञासु प्रकृति का आनंद होता है। इन्हें विभिन्न प्रकार का चारा, जो कड़वा, मीठा, नमकीन और स्वाद में खट्टा हो तो भी सभी को खा लेती है। इसके लिए स्वाद और आनंद के साथ फलीदार भोजन जैसे लोबिया, बरसीम, लहसुन आदि खाना इसे बहुत पसंद है। इससे सिरोही बकरियों को ऊर्जा और हाई प्रोटीन मिलता है, जो उन्हें स्वस्थ बनाए रखता है। हालांकि, इस नस्ल की एक खराब आदत यह है कि इसने भोजन वाले स्थान पर पेशाब कर देती है, इसलिए इससे बचने के लिए उचित फीड स्टाल की आवश्यकता है।

सिरोही नस्ल के बकरियों की सेहत की देखभाल के लिए गोट एक्सपर्टों का कहना है कि बच्चों का दूध तुरंत निकालना नहीं चाहिए, और ब्याने के बाद उन्हें उचित देखभाल देना चाहिए। ब्याने से पहले, ब्याने वाली बकरियों को साफ, खुले और कीटाणु रहित ब्याने में रखना चाहिए। जन्म के बाद, मेमने को साफ सुथरे कपड़े से साफ करना चाहिए और उसके नाक, मुंह, कान को भी साफ करना चाहिए। इसके अलावा, इन बकरियों को क्लोस्ट्रीडायल बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन लगवानी चाहिए, जिससे इन्हें सही स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सके। बच्चा पांच से छह सप्ताह का होने पर उन्हें रोग से लड़ने के लिए टीकाकरण कराना चाहिए।

सिरोही नस्ल की बकरियों के बारे में बात करते हुए, गोट एक्सपर्ट कहते हैं कि इस नस्ल का पालन बहुत ही लाभकारी है और इससे किसानों को बड़ा मुनाफा हो सकता है। इसकी अच्छी उत्पादनक्षमता, उच्च दूध उत्पादन, और उत्कृष्ट मीट गुणवत्ता के कारण इसे व्यापक रूप से मानया जा रहा है।

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