कभी सुखा तो कभी बाढ़, पटवारी हड़ताल पर लेकिन किसान है परेशान, अब कौन बचाएगा बर्बाद हो रही फसलों को?
बारिश के साथ ही तेज हवाओं का आगमन हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कपास और मक्का फसलों को नुकसान हुआ है। सूखे से बची सोयाबीन फसल पर भी बारिश ने कहर डाला है।

कभी सुखा तो कभी बाढ़, पटवारी हड़ताल पर लेकिन किसान है परेशान, अब कौन बचाएगा बर्बाद हो रही फसलों को?
खंडवा जिले में बारिश की बौछार ने किसानों के लिए आशा की किरन पैदा की है। दो दिन की बारिश ने जिले को सूखाग्रस्त से बचा दिया है, लेकिन साथ ही कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि खंडवा में हुई बारिश के परिणामस्वरूप किसानों की किस तरह की स्थिति पैदा हुई है और किस तरह की फसलों को प्रभावित किया गया है।
बारिश का प्रभाव
खंडवा जिले में हुई बारिश ने जमीन को आवश्यक जल संसाधन प्रदान किया है। जिले के औसत आंकड़ा 32 इंच का है जो की सामान्यत: इस समय के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। इससे सूखा से प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक जल संग्रहण हुआ है।
नकारात्मक पहलू
बारिश के साथ ही तेज हवाओं का आगमन हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कपास और मक्का फसलों को नुकसान हुआ है। सूखे से बची सोयाबीन फसल पर भी बारिश ने कहर डाला है। किसानों को मुआवजे की दरकार हो रही है और पटवारी हड़ताल पर होने के कारण कोई नुकसानी का सर्वे नहीं कर रहा है।
ब्लॉक-वाइज बारिश का आंकड़ा
ब्लॉक बारिश का आंकड़ा (इंच में)
खंडवा 33
नया हरसूद 44+
पंधाना 24+
पुनासा 32
खालवा 32+
यहाँ पर जगह-जगह बारिश की अधिकतम मात्रा बताई गई है, जिससे प्राप्त जल संग्रहण की जानकारी हो सके।
फसलों का स्थिति
खंडवा जिले में आधारित फसलें प्राथमिक रूप से सोयाबीन, कपास, मक्का, और अन्य सब्जियों पर निर्भर करती हैं। बारिश के बावजूद, कुछ स्थानों पर सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचा है, जबकि कपास और मक्का फसलों को तबाह किया गया है। किसानों को मुआवजे की दरकार है और सर्वे करने वाले पटवारी हड़ताल पर हैं, जिससे नुकसानी का सटीक स्थान नहीं पता चल पा रहा है।