सरसों में तना गलन रोग के बचाव के लिए कीटनाशक का करें छिड़काव, सर्दकालीन मक्का, सरसों व गन्ने की फसलों को लेकर एडवाइजरी जारी

सरसों में तना गलन रोग के बचाव के लिए कीटनाशक का करें छिड़काव, सर्दकालीन मक्का, सरसों व गन्ने की फसलों को लेकर एडवाइजरी जारी
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सरसों की फसल में तना गलन रोक का प्रकोप जिन इलाकों में हर साल होता है, वहां इसकी देखभाल जरूरी है। जिन क्षेत्रों में प्रकोप हर साल होता है, वहां बिजाई के 45 से 50 दिन बाद कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से छिड़काव करें। तना गलन की रोकथाम के लिए दो छिड़काव करने की आवश्यकता है, दूसरा छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें।

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि सरसों में बिजाई के 35-40 दिन बाद पहली सिंचाई करें तथा सिंचाई के साथ बची हुई यूरिया आधी मात्रा 35 किलोग्राम डालें। सिंचाई के दौराल हल्का पानी लगाएं और पानी को खड़ा न होने दें। जिन खेतों में पानी का ठहराव ज्यादा देर तक रहता है वहां पौधे मर जाते हैं।

हकृवि कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि गन्ने की बेहतर मोढी फसल उगाने के िलए कटाई जमीन की सतह के साथ करें। मोढी फसल की बेहतर वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए पौधे की फसल की कटाई के बाद मिट्टी की सतह पर ट्रैश मल्च का प्रयोग करना चाहिए। बीज वाली फसल में 15 से 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें और यदि पानी की उपलब्धता कम हो तो दूसरे खूड में सिंचाई करें। तराई बेधक

कीट की रोकथाम हेतु गन्ने की फसल को गिरने से बचाएं व अच्छी प्रकार पत्तियों की बंधाई करें, पुरानी पत्तियों को उतार देना चाहिए। लाल सड़न रोग से ग्रस्त खेत का पानी दूसरे खेतों में न जाने दें, व लाल सड़न रोग से ग्रसित खेत में मोढी की फसल न लें।

गन्ने की इंटर क्रॉप के साथ लें कम अवधि की फसलें

गन्ने की इंटर क्रॉप लेते समय कम अवधि की किस्मों को उगाना चाहिए। अंतर फसल की सीधी व कम फैलने वाली किस्में, दोनों फसलों की अनुशंसित खुराक व चयनात्मक शाकनाशी का प्रयोग करना चाहिए। अंतर फसलों की कटाई तक इनकी आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। गन्ने की फसल में 20 दिन के अंतराल के बाद सिंचाई करते रहें

मक्का को कीड़ों से बचाव को रेत व चूने का मिश्रण छिड़कें

•सर्दकालीन मक्के की फसल के दौरान मौसम के थोड़ा गर्म रहने पर इसमें कीड़ों का प्रकोप हो सकता है। इसलिए खेत का निरीक्षण लगातार करना चाहिए। गोभ में यदि कीड़ों का आक्रमण है तो आवश्यकतानुसार रेत व चूने के मिश्रण को गोभ में बुरकें। • मक्के की फसल के घुटनों तक होने पर यूरिया की दूसरी खुराक 15 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। यदि मक्का की फसल के साथ अंतर फसलें ली हैं तो खाद की सिफारिश अलग से फसल के अनुसार डालें। मक्का की फसल को ठंड व पाले से बचाने कि लए सायंकाल में हल्की सिंचाई करें।

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