नानी के घर से मिले आइडिया ने बदली किसान की किस्मत, शुरू की परवल की खेती, अब लाखों में इनकम
सतेन्द्र कुमार की कहानी का आदान-प्रदान उनके नानी के घर से हुआ था। वहीं उनके नानी ने उन्हें परवल की खेती करने का आइडिया दिया था। पहले, सतेन्द्र कुमार धान और गेहूं की खेती कर रहे थे, लेकिन वह खेती में नुकसान का सामना कर रहे थे।

परवल की खेती का नया आईडिया
भारत के गांवों में किसानों का जीवन आधार होता है, और एक छोटे से गांव के किसान ने एक नई खेती की शुरुआत करके अपनी किस्मत बदल दी है। आज हम आपको सीतामढ़ी जिले के टंडसपुर गांव के किसान सतेन्द्र कुमार की कहानी सुनाएंगे, जिन्होंने नानी के घर से मिले आइडिया के साथ परवल की खेती में लाखों की आमदनी कमाई है।
नानी के आइडिया का महत्व
सतेन्द्र कुमार की कहानी का आदान-प्रदान उनके नानी के घर से हुआ था। वहीं उनके नानी ने उन्हें परवल की खेती करने का आइडिया दिया था। पहले, सतेन्द्र कुमार धान और गेहूं की खेती कर रहे थे, लेकिन वह खेती में नुकसान का सामना कर रहे थे। तब उन्होंने अपने नानी के सुझाव को माना और परवल की खेती करना शुरू किया। यह आईडिया उनके लिए किसानी में नए दिन की शुरुआत थी।
परवल की खेती का मानदंड
सतेन्द्र कुमार ने बताया कि परवल की खेती में अन्य फसलों की तुलना में आमदनी चार गुना अधिक हो रही है। इसमें कई कारगर कारण हैं, जैसे कि परवल का मचान विधि और जैविक खाद का प्रयोग।
मचान विधि का महत्व
परवल की खेती में मचान का महत्वपूर्ण योगदान होता है। सतेन्द्र कुमार ने बताया कि खेती के लिए लोग दो तरह के मचान बनाते हैं - एक जो बाजार में नेट आसानी से मिल जाता है और दूसरा जो खुद से बांस से बनाया जाता है। उनकी सलाह है कि खुद से बना हुआ मचान ज्यादा बेहतर होता है, क्योंकि नेट वाला मचान आंधी या तेज हवा में टिक नहीं पाता है और हिलने की वजह से फसल की बर्बादी हो सकती है।
जैविक खाद का उपयोग
सतेन्द्र कुमार ने बताया कि वे खेती के लिए ज्यादातर जैविक खाद का उपयोग करते हैं और उन्हें खुद ही तैयार कर लेते हैं। इसके लिए वे एक गड्ढे में कई महीनों तक गोबर रखते हैं और घरेलू कचरा को सड़ा-गला कर खेतों में छिड़काव करते हैं। इससे मिट्टी हल्की हो जाती है, जिससे उपज बेहतर होती है।
आमदनी का बढ़ता ग्राफ
सतेन्द्र कुमार ने बताया कि प्रतिदिन उनकी खेती से एक एकड़ से एक क्विंटल परवल का उत्पादन होता है, और वर्तमान समय में परवल का मार्केट वैल्यू तीन हजार से चार हजार के आस-पास है। यहीं तक नहीं, सीजन के हिसाब से परवल की कीमत 30 से 40 रुपए में होती है, जबकि अन्य मौसम में यह 80 से 100 रुपए के बीच हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप, सतेन्द्र कुमार की रोजाना की कमाई तीन से चार हजार के बीच हो जाती है।
भविष्य की योजनाएँ
सतेन्द्र कुमार का सपना है कि वह डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी करेंगे, जिससे उन्हें खेती के क्षेत्र में और भी ज्ञान मिलेगा। वे इस ज्ञान का उपयोग करके दवा और बीज की दुकान खोल सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी और भी बढ़ सकेगी।
समापन
सतेन्द्र कुमार की कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष से भरपूर जीवन में एक नई शुरुआत कर सकती है, और नानी की सलाह की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। परवल की खेती की सफलता और उनकी मेहनत ने उन्हें नई दिशा में ले जाया है, जो आने वाले समय में और भी बेहतर हो सकती है।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसानों के लिए नए और उन्नत आईडियाओं का प्रयोग करके उनकी किस्मत को बदलने का समय आ गया है। सतेन्द्र कुमार की तरह हम सभी को अपने काम में सही दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर देखना चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और संघर्ष का सामर्थ्य रूप से सहायक बनाना चाहिए।