इफको की कहानी, सहकारिता की प्रेरणा से बर्बादी तक का सफर, जाने IFFCO के मौजूदा हालात

भारतीय किसानों की सहारा बनने का उद्दीपन लेकर खड़ा हुआ था इंडियन फर्टिलाइजर्स को-ऑपरेटिव लिमिटेड, जिसे हम आमतौर पर इफको कहते हैं।

इफको की कहानी, सहकारिता की प्रेरणा से बर्बादी तक का सफर, जाने IFFCO के मौजूदा हालात
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इफको की कहानी, सहकारिता की प्रेरणा से बर्बादी तक का सफर, जाने IFFCO के मौजूदा हालात

भारत में सहकारी आंदोलन के अंबेडकर, नेताजी बोस, और पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रेरणा से उत्पन्न हुआ था। इस आंदोलन ने सहकारिता की महत्ता को साबित करके देश को समृद्धि की दिशा में बढ़ने में मदद की। इसी सिलसिले में, भारतीय किसानों की सहारा बनने का उद्दीपन लेकर खड़ा हुआ था इंडियन फर्टिलाइजर्स को-ऑपरेटिव लिमिटेड, जिसे हम आमतौर पर इफको कहते हैं।

इफको की उत्पत्ति और योजना

पंडित नेहरू की दृढ़ सहकारिता विचारधारा ने इफको की नींव रखी, जिससे 1967 में इसका गठन हुआ। इसका उद्देश्य था किसानों को उचित उर्वरक पहुंचाना और उनकी खेती को सुधारना। इसके प्रेरक नेतृत्व में, इफको ने भारत में 5 उर्वरक उत्पादक संयत्र स्थापित किए, जिनसे 2016-17 में 8.4 मिलियन मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादित किए गए।

इफको का वितरण नेटवर्क

इफको ने एक सशक्त विपणन नेटवर्क का गठन किया है, जिससे उर्वरकों को रेल, सड़क, और समुद्री मार्गों के माध्यम से दूरदराज इलाकों तक पहुंचाया जा सकता है। 2016-17 में, इफको ने भारत में 10.7 मिलियन मीट्रिक टन उर्वरकों की बिक्री की, जो इसकी सफलता का प्रमाण है।

इफको के संघर्ष और उनका सामाजिक परिवर्तन

इफको के संस्थापकों ने सहकारिता के लिए जीवन देने का संकल्प किया और उनका संघर्ष आज भी याद किया जा रहा है। वर्ष 1993 में, अवस्थी ने इफको के निदेशक पद पर आसीन होने के बाद कंपनी को नए उच्चाईयों तक पहुंचाया।

इफको के चुनौतीपूर्ण समय

हालांकि, इफको ने कई सफलताएं हासिल की हैं, लेकिन कुछ चुनौतीपूर्ण समयों में भी उसने अपनी साहसपूर्ण उत्कृष्टता साबित की है। उसने सामाजिक परिवर्तन में योगदान किया है और आज भी भारतीय किसानों के साथ है।



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