इस घास की खेती पर मिलेगी 10 हजार रुपए की सब्सिडी, सालभर पैदावार देने वाली घास

नेपियर घास: उपयोगिता, खेती और सब्सिडी के बारे में जानें

इस घास की खेती पर मिलेगी 10 हजार रुपए की सब्सिडी, सालभर पैदावार देने वाली  घास
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नेपियर घास, जिसे सदाबहार हरा चारा भी कहते हैं, एक महत्वपूर्ण बहुवर्षीय चारे की फसल है. इसकी पौधों की लम्बाई गन्ने की तरह बढ़ती है और प्रति पौधे से 40-50 तक कल्ले निकलते हैं. यह चारा हाथी घास के नाम से भी पुकारा जाता है और पशुओं के लिए उत्तम पोषण स्रोत के रूप में प्रसिद्ध है.

नेपियर घास की प्रमुख प्रजातियाँ जॉइंट किंग, सुपर नेपियर, सीओ-1, हाइब्रिड नेपियर – 3 (स्वेतिका), सीओ-2, सीओ-3, सीओ-4, पीबीएन – 83, यशवन्त (आरबीएन – 9), आईजीएफआरआई 5, एनबी-21, एनबी-37, पीबीएन-237, केकेएम 1, एपीबीएन-1, सुगना, सुप्रिया, सम्पूर्णा (डीएचएन – 6) में से होती हैं.

वानस्पतिक लक्षण:

नेपियर घास के पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं, जो 50-70 सेंटीमीटर लम्बे और 2-3 सेंटीमीटर चौड़े होते हैं. इसकी पौधों की उपजन तंतुओं और गुच्छों द्वारा होती है और इसके पत्तियाँ गहरे हरे रंग की होती हैं.

नेपियर घास की उपयोगिता:

नेपियर घास उच्च पोषण सम्पन्नता और स्वादिष्टता के साथ पशुओं के लिए एक उत्कृष्ट पोषण स्रोत होती है. यह चारा उच्च प्रोटीन और रेशे की मात्रा के साथ आता है जो पशुओं के लिए आवश्यक होते हैं. इसे अन्य चारों के साथ मिलाकर खिलाने से पशुओं के पोषण का स्तर बढ़ता है. इसका साइलेज बनाकर पशुओं को खिलाने से भी बेहतर परिणाम मिलते हैं.

खेती:

नेपियर घास की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है, जैसे कि राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, असम, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, हरियाणा, और मध्यप्रदेश में. यह फसल सर्दी, गर्मी, और मानसून के समय में उगाई जा सकती है.

सब्सिडी:

किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर है कि नेपियर घास की खेती पर सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है. आपको राजकीय कृषि प्राधिकृत प्रवेशक से संपर्क करके जानकारी प्राप्त करनी होगी और आप प्रति हेक्टेयर ₹10,000 तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं.

नेपियर घास: एक उत्तम चारा विकल्प

नेपियर घास एक उत्तम चारा विकल्प है जो पशुओं को उच्च पोषण प्रदान करता है. इसकी खेती की जा सकती है और सब्सिडी के साथ आपको आर्थिक लाभ भी मिल सकता है. यह पशुओं के पोषण को सुनिश्चित करने में मदद करता है और पशुओं के उत्पादन को बढ़ावा देता है.

आवश्यक दिशा-निर्देश:-

  1. हाइब्रिड नेपियर घास की रोपाई फरवरी मार्च व जुलाई से अक्टूबर में की जायें. 2 इसका प्रवर्धन कटिंग / Rooted Slip से किया जाता है अतः प्रवर्धन हेतु 2 से 3 कलियों वाले कटिंग /1 कटिंग Rooted Slip का 50×50 सेमी की दूरी पर इस तरीके से किया जावे की 1 से 2 कलियां / गाठ जमीन में तथा एक कली / गांठ भूमि के ऊपर रहे.
  2. यथा संभव प्रदर्शन का आयोजन सघन क्षेत्र में किया जाये. विशेष परिस्थिति में यदि कोई किसान मेढ़ पर रोपाई करता है तो उसे न्यूनतम 0.05 हैक्टर हेतु वांछित 2000 कटिंग या rooted slips लगानी होगी.
  3. रोपण सामग्री के रूप में उपयोग में लिये जाने वाली तना कटिंग 4 से 6 माह पुरानी, हल्के पीले सफेद रंग (पूर्ण पकी हुई) तथा पूर्ण विकसित आँख / कली वाली होनी चाहिए ताकि अधिकाधिक फुटान हो सके.
  4. कटिंग 45 डिग्री के झुकाव पर रोपित करनी है. कटिंग लगाने के पश्चात जड़ के पास मिट्टी को अच्छी तरह दबाने के तुरंत बाद सिंचाई कर देवे. 6 रोपाई से पूर्व प्रति प्रदर्शन (0.1 हैक्टर ) 25-40 क्विं. गोबर की खाद, 1 किलो यूरिया,11 किलो डीएपी व 7 किलो एमओपी बेसल डोज के रूप में उपयोग में ली जाये. प्रत्येककटाई के बाद 6-7 किलो यूरिया का प्रति प्रदर्शन सिंचाई के साथ छिड़काव करें.
  5. प्रदर्शन आयोजन हेतु आवश्यक गोबर की खाद व उर्वरक की व्यवस्था आदि किसान स्वयं के स्तर पर करेगा.
  6. फसल की सिंचाई गर्मियों में (मार्च से जून) 8-10 दिन व सर्दी में 15-20 दिन के अन्तर पर करे. साथ ही प्रत्येक कटाई के बाद पानी देना आवश्यक है.
  7. घास की प्रथम कटाई बुवाई के 60-65 दिन बाद करनी है तथा उसके उपरान्त प्रत्येक कटाई 30-35 दिन बाद करनी है.
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