सुप्रीम कोर्ट ने जीएम सरसों पर याचिका को टाला, पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर उठे सवाल

सुप्रीम कोर्ट के मानने के अनुसार, जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती के साथ पर्यावरण में भी असर पैदा हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने जीएम सरसों पर याचिका को टाला, पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर उठे सवाल
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जीएम सरसों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका को 26 सितंबर तक टाल दिया है। इसमें पर्यावरण नुकसान की कैसे हो सकती है भरपाई पर विचार किया गया है। यह फैसला जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती पर लगाये गए रोक के बारे में है। सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक वादे को वापस लेने की मांग को भी स्थगित किया है।

सुप्रीम कोर्ट के मानने के अनुसार, जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती के साथ पर्यावरण में भी असर पैदा हो सकता है। यह फैसला पर्यावरण और किसानों के बीच उत्तरदायित्व की बहस को बढ़ा सकता है। केंद्र सरकार ने याचिका में अदालत से मौखिक वादे की वापसी की मांग की है जो कि अब सुनवाई स्थगित कर दी गई है।

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई को टाल दिया है। उनके मानने के अनुसार, पर्यावरण में होने वाले नुकसान की भरपाई करना किसी भी हालत में संभव नहीं है।

आनुवंशिक रूप से संशोधित जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को लेकर किसान संगठनों और पर्यावरण एक्टिविस्टों के बीच विवाद बढ़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मामले की महत्वपूर्ण परिप्रेक्ष्य में हुआ है और यह समझने की कोशिश करता है कि कैसे विकास और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन पाया जा सकता है।

इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि पर्यावरण की रक्षा को उच्चतम प्राथमिकता देना आवश्यक है। किसानों के हितों के साथ-साथ पर्यावरण की भी देखभाल करना महत्वपूर्ण है। यह फैसला आने वाले समय में जीवन्त रहेगा और सामाजिक विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रस्तावना का भी हिस्सा बन सकता है।

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