1990 में मजदूरी करके परिवार का पेट पालने वाला किसान आज है 80 करोड़ का मालिक, दूध नहीं बल्कि घी और छाछ बेचकर बना करोड़पति
रमेशभाई ने समय के साथ डिजिटल मार्केटिंग को समझा और अपने उत्पादों को ऑनलाइन पहुंचाने के लिए वेबसाइट बनाई,
1990 में मजदूरी करके परिवार का पेट पालने वाला किसान आज है 80 करोड़ का मालिक, दूध नहीं बल्कि घी और छाछ बेचकर बना करोड़पति
पशुपालक रमेशभाई रुपारेलिया, गोंडल में गिर गौ जतन संस्थान संगठन के संचालक, ने 80 रुपए से शुरू हुआ अपना सफर करके कैसे किसान से लेकर खुद को मार्केटिंग गुरु बनाया, एक समय था जब उनका बाल-बाल कर्जें में डूबा हुआ था और आज एक समय है जब वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा और रोजगार की राह बने हुए हैं.
गोपालन का शुभारंभ
रमेशभाई ने माता-पिता के साथ मजदूरी करते हुए अपने जीवन की शुरुआत की थी, लेकिन उन्होंने अपनी लगन और सीखने की भावना के साथ 80 रुपए की मजदूरी से बाहर निकलने का निर्णय किया।
खुद की जमीन और जैविक खेती का पहला कदम
किराए पर लिए जमीन से शुरू होते हुए, रमेशभाई ने खुद की जमीन खरीदने का सपना देखा और जैविक खेती में अपने अनुभव से जमीन को उपजाऊ बनाने का काम किया।
किस्मत ने बदली कहानी
उनकी गौशाला ने गायों के दूध से नहीं, बल्कि गोबर, गोमूत्र, छाछ, और घी बनाकर उच्च-मूल्य उत्पादों की खोज की और इससे उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा।
डिजिटल मार्केटिंग का जादू
रमेशभाई ने समय के साथ डिजिटल मार्केटिंग को समझा और अपने उत्पादों को ऑनलाइन पहुंचाने के लिए वेबसाइट बनाई, सोशल मीडिया का उपयोग किया, और यूट्यूब चैनल चलाकर बिजनेस को विकसित किया।
विदेशों तक का सफर
आज रमेशभाई के उत्पाद 123 देशों में पहुंच रहे हैं और उनकी गौशाला से निकलने वाले उत्पादों की कीमतें 600 रुपए से लेकर 10-15 हजार रुपए प्रति किलो तक जा सकती हैं।
शिक्षा और प्रेरणा
रमेशभाई ने लाखों लोगों को जैविक खेती और गौपालन की ट्रेनिंग देने का कार्य किया है, जिससे समाज में जागरूकता बढ़ी है और लोगों को रोजगार के नए अवसर प्रदान किए गए हैं।