सिर्फ 18 रूपये के पौधे ने इस किसान को किया मालामाल, 22 बीघा केले की खेती कर किसान कमा रहा सालाना 4 लाख रुपये

उन्होंने इस वैरायटी की पौध से उत्पादन के मामूले तथा केमिकल-मुक्त खेती के लिए जाने वाले बदलावों के साथ सफलता हासिल की।

सिर्फ 18 रूपये के पौधे ने इस किसान को किया मालामाल, 22 बीघा केले की खेती कर किसान कमा रहा सालाना 4 लाख रुपये
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सिर्फ 18 रूपये के पौधे ने इस किसान को किया मालामाल, 22 बीघा केले की खेती कर किसान कमा रहा सालाना 4 लाख रुपये

लगन और कड़ी मेहनत से भरे श्यामू अवस्थी के किसानी के खेतों में उत्साह और सफलता की कहानी छुपी है। उनके लखीमपुर खीरी रोड, बड़ागांव के 22 बीघा खेत में विकसित केले की खेती ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है।





उत्तर प्रदेश में केले की खेती के लिए उदाहरणीय प्रयास

श्यामू अवस्थी के खेतों में विशेषतः केले की खेती के लिए उनकी अनोखी दृढ इरादे ने किसानों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत साबित किया है। प्रतिवर्ष चार एकड़ में 5500 के करीब केले के पौध लगाने से उन्हें एक अच्छी फसल मिलती है, जिसका उत्पादन अधिक होता है। उन्होंने इस वैरायटी की पौध से उत्पादन के मामूले तथा केमिकल-मुक्त खेती के लिए जाने वाले बदलावों के साथ सफलता हासिल की।

आन्दाज़ी खेती से उबरने का रास्ता

श्यामू ने बताया कि उत्तर प्रदेश में बहुत से किसान आन्दाज़ी तरीके से खेती करते हैं। लेकिन, केले की खेती में खेत की ज्यादा और गहरी जुताई करना अनिवार्य है। खाद, डीएपी, यूरिया और कीटनाशकों के साथ लगभग 1.80 लाख रुपये की लागत आती है। लेकिन उन्होंने इन चुनौतियों का सामना कर उन्हें सफलता का सफर तय किया।

उत्पादकता में वृद्धि

श्यामू अवस्थी के खेतों में केले की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए टिश्यू कल्चर विधि का प्रयोग किया गया। इस विधि में पौधे की क्वालिटी बेहतर होती है और उपज बढ़ जाती है, जिससे किसानों की इनकम में वृद्धि होती है। टिश्यू कल्चर विधि के साथ उत्पादन में समय भी कम लगता है जिससे किसान अधिक समय का लाभ उठा सकते हैं।

मार्केटिंग में चुनौती और समाधान

केले की मार्केटिंग को लेकर उत्तर प्रदेश में कई समस्याएं हैं, जिससे किसानों को तकलीफ होती है। श्यामू अवस्थी ने सरकार और जिला प्रशासन से सहयोग की अपील की है ताकि उत्पादित केले की मार्केटिंग में मदद मिल सके। यदि समर्थन प्राप्त होता है, तो उत्तर प्रदेश को भी भागलपुर के तरह केले का हब बनाने में सफलता मिल सकती है और किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

नजरिया बदलकर सफलता का सफर

श्यामू अवस्थी के किसानी के सफलता पूर्वक सफर ने बदल दिखाया है कि नए और मजबूत इरादों से किसान खेती में उभर सकते हैं। उनकी इस उदाहरणीय खेती के जरिए वे दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने दिखाया है कि केले की खेती में लगन और मेहनत से सफलता जरूर मिलती है और खेती के अंदर संबल बढ़ता है।

समारोह के जज्बे से जले उत्साह

किसान श्यामू अवस्थी ने बताया कि उनके लिए केले की खेती से हासिल की जाने वाली आय का योगदान समारोहों को और बढ़ा रहा है। उन्हें सीतापुर मंडी में केले बेचने का अवसर मिलता है और बाहरी मंडियों में भी वे अपनी उत्पादन को सप्लाई करते हैं। वहीं आस-पास के गांवों से भी लोग उनके खेत में आकर केले खरीदते हैं। इससे उनकी इनकम बढ़ जाती है और वे और भी अधिक सफल हो रहे हैं।

संक्षेप में समाप्ति

श्यामू अवस्थी की खेती ने उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक नजरिया साबित किया है जो उन्हें खेती में सफलता तक पहुंचा रहा है। उनका उदाहरणीय सफलता सिर्फ लगन और कठिनाइयों के सामने दृढ इरादे की वजह से हुई है। उन्हें विभिन्न तकनीकों का सही उपयोग करने से खेती में उनकी उत्पादकता में वृद्धि हुई है और वे सफल किसान बनकर उभरे हैं। उनकी मार्केटिंग में चुनौतियों का समाधान होने से उत्तर प्रदेश को केले के हब का साबित किया जा सकता है।

संक्षेप में जानकारी

केले की पौधे लगाने से पहले खेत में गोबर और मई की सड़े खाद का प्रयोग होता है।

श्यामू अवस्थी के खेतों में टिश्यू कल्चर विधि से केले की खेती की जाती है।

प्रति एकड़ लगभग 600 से 700 क्विंटल हरा और मोटा केला निकलता है।

सालाना उनकी इनकम 4 लाख रुपये तक होती है।

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