ना कही खुटा ठोका और ना चारा डालने की जरुरत, गाय भैंस ना पालकर पालते है 80,000 बिच्छू, कमाते है सालाना करोड़ों रूपये
काहिरा वेनम कंपनी का सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपये होता है और यह कंपनी अमेरिका, ब्रिटेन, और दुनिया के कई अन्य देशों की दवा कंपनियों को बिच्छू और सांप के जहर की आपूर्ति करती है।
ना कही खुटा ठोका और ना चारा डालने की जरुरत, गाय भैंस ना पालकर पालते है 80,000 बिच्छू, कमाते है सालाना करोड़ों रूपये
दुनिया भर मे किसानो और पशुपालको द्वारा पशु पालन बड़े पैमाने पर किया जाता है अगर किसानी और पशुपालन के बारे में सोचते हैं, तो गाय, भैंस, बकरी, और भेड़ का पालन अक्सर सोचा जाता है। लेकिन एक ऐसा व्यक्ति है जिन्होंने अनोखे तरीके से बिच्छू पालन करके करोड़ों की कमाई की है। मिस्र के मोहम्मद हम्दी बोष्टा (Mohammed hamdy boshta) के जीवन की इस अनोखी कहानी सच मे दिलचस्प है जो बिच्छू पालकर करोड़पति बन गया है.
किसान मोहम्मद हम्दी बोष्टा
मोहम्मद हम्दी बोष्टा, मिस्र की राजधानी काहिरा में रहने वाले 28 साल के युवा उद्यमी हैं। वे बिच्छू पालते हैं और इस कारोबार से हर साल करोड़ों रुपये । मोहम्मद हम्दी की कंपनी, "काहिरा वेनम कंपनी" (Cairo Venom Company), बिच्छू और सांप के जहर की व्यापारिक व्यापार में शिकार कर रही है। इनके बिच्छू फार्मों पर करीब 80,000 से ज़्यादा बिच्छू होते हैं, जिनसे वे जहर निकालते हैं।
काहिरा वेनम कंपनी का सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपये होता है और यह कंपनी अमेरिका, ब्रिटेन, और दुनिया के कई अन्य देशों की दवा कंपनियों को बिच्छू और सांप के जहर की आपूर्ति करती है।
बिच्छू पालन की शुरआत
मोहम्मद हम्दी बोष्टा ने पुरातत्व में स्नातक की पढ़ाई कर रहे होते हुए बिच्छू के पालन की ओर रुख की। वे मिस्र के विशाल रेगिस्तान में बिच्छू पकड़ते थे और इस काम में आकर्षित हो गए। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर बिच्छू पालन का काम शुरू किया। पहले, वे काहिरा में एक छोटा सा फार्म बनाएं और धीरे-धीरे बिच्छू पालन को बढ़ाया। साथ ही, वे सांप पालन का भी आरंभ किया।
बिच्छू पालन की कठिनाइयां और जहर निकालना
बिच्छू पालन और उनके जहर को निकालना एक चुनौतीपूर्ण काम है। बिच्छूओं को खास डिब्बों में रखा जाता है.उनको प्राकृतिक वातावरण प्रदान करने के लिए बालू रेत तो रखी ही जाती है, साथ ही तापमान और खाने का भी खास ख्याल रखा जाता है. बिच्छू जब डंक मारता है तब जहर निकलता है. बिच्छू को पकड़कर अल्ट्रावॉयलेट लाइट की मदद से हल्का सा इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है. इलेक्ट्रिक शॉक लगते ही बिच्छू डंक मारता है और जहर एक जार में आ जाता है. जहर को -18 डिग्री टैंपरेचर पर स्टोर किया जाता है.
कैसे बनती है दवाई
बिच्छू के एक ग्राम जहर से करीब 20,000 से 50,000 तक एंटीवेनोम (विषरोधक) डोज बनाए जा सकते हैं इन दवाइयो का इस्तेमाल एंटीवेनम डोज और हाइपरटेंशन जैसी तमाम बीमारियों की दवाइयां बनाने में होता हैं.