बेकार समझे जाने वाले गोबर से इन महिलाओं ने कमाए 5 करोड़ से भी अधिक रूपये, उपले नहीं, प्राकृतिक पेंट, डिस्टेम्पर और पुट्टी का किया लाखों लीटर में उत्पादन

क्रियाशील यूनिटों के माध्यम से प्राकृतिक पेंट के उत्पादन से 5 करोड़ 76 लाख से अधिक की आय हुई है

बेकार समझे जाने वाले गोबर से इन महिलाओं ने कमाए 5 करोड़ से भी अधिक रूपये, उपले नहीं, प्राकृतिक पेंट, डिस्टेम्पर और पुट्टी का किया लाखों लीटर में  उत्पादन
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बेकार समझे जाने वाले गोबर से इन महिलाओं ने कमाए 5 करोड़ से भी अधिक रूपये, उपले नहीं, प्राकृतिक पेंट, डिस्टेम्पर और पुट्टी का किया लाखों लीटर में उत्पादन

गोबर से बनी प्राकृतिक पेंट, ग्रामीण महिलाओं के लिए एक नया आय स्रोत के रूप में उभर रहा है। इस नवाचार ने महिला समूहों को 5 करोड़ से अधिक की आय प्राप्त करने का मौका दिया है, और गौठानों के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में भी मदद की है। इस लेख में, हम देखेंगे कि गोबर से प्राकृतिक पेंट कैसे बनाई जा रही है और महिला समूहों के लिए कैसे एक महत्वपूर्ण आय स्रोत बन गई है।

गोबर से प्राकृतिक पेंट: नया आय स्रोत

गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए गौठानों में 52 यूनिटें लगाई गई हैं, और इनमें से 50 यूनिटों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाई जा रही है। क्रियाशील यूनिटों के माध्यम से प्राकृतिक पेंट के उत्पादन से 5 करोड़ 76 लाख से अधिक की आय हुई है। इससे स्पष्ट होता है कि गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन महिला समूहों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय बन चुका है।

उत्पाद उत्पादन (लीटर/किलो) आय (रूपए)

प्राकृतिक पेंट 1,94,630 5,76,91,000

डिस्टेम्पर 83,268 -

पुट्टी 2,840 -

गौठानों का औद्योगिक विकास

गौठानों में 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित किए गए हैं, जहां महिला समूहों और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा विविध प्रकार की आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इन पार्कों में विभिन्न उत्पादों के निर्माण से लेकर खेती, पशुपालन, और गौशाला आदि के कामों तक कई तरह की गतिविधियां हो रही हैं।

महिला स्व-सहायता समूहों का योगदान

महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा गौठानों में वर्मी खाद का उत्पादन से लेकर सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन, मछली, बकरी, मुर्गी पालन, पशुपालन, गोबर, दीया, गमला, अगरबत्ती तथा अन्य गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। गौठानों से 18214 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हैं, और इनमें कुल 2,14,086 सदस्य हैं। आयमूलक गतिविधियों से महिला समूहों को 179 करोड़ 70 लाख रूपए की आय हो चुकी है।

गोबर से प्राकृतिक पेंट के उत्पादन और गौठानों के औद्योगिक विकास के साथ, महिला समूहों को नये आय स्रोत की प्राप्ति हो रही है, जिससे वे अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार कर रही हैं। इस साथ में, गौठानों के औद्योगिक विकास से ग्रामीण समुदायों को भी विकास का अवसर मिल रहा है। गोबर से बनी प्राकृतिक पेंट का यह सफल प्रक्रिया महिलाओं के लिए नए दिन की शुरुआत है, जिसमें समृद्धि और सामृद्धि की ओर कदम बढ़ रही हैं।

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