यह फसल सिर्फ 85 दिन में होती है तैयार, मंडी भाव 10 से 15,000 रूपये प्रति क्विंटल, जानिए उन्नत किस्में

यह किस्म 80 से 85 दिनों में पकने के लिए तैयार होती है और उससे 600 से 700 किलो तक तिल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो सकता है

यह फसल सिर्फ 85 दिन में होती है तैयार, मंडी भाव 10 से 15,000 रूपये प्रति क्विंटल, जानिए उन्नत किस्में
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यह फसल सिर्फ 85 दिन में होती है तैयार, मंडी भाव 10 से 15,000 रूपये प्रति क्विंटल, जानिए उन्नत किस्में

तिल, जो प्रमुख तिलहनी फसल है, की खेती के लिए उचित जलवायु और मिट्टी का चयन महत्वपूर्ण है। यह शीतोष्ण जलवायु को पसंद करता है और ज्यादा बरसात या सूखे से प्रभावित हो सकता है। तिल की खेती के लिए हल्की दोमट, बुलई दोमट और काली मिट्टी उपयुक्त होती है। भूमि का पीएच 5.5 से 8.0 तक होना उचित माना जाता है।

तिल की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं

तिल की खेती में उपयुक्त उन्नत किस्मों का चयन करने से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। निम्नलिखित हैं कुछ उन्नत तिल की किस्में:

टी.के.जी. 308: यह किस्म 80 से 85 दिनों में पकने के लिए तैयार होती है और उससे 600 से 700 किलो तक तिल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो सकता है। इसमें 48 से 50 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है और यह तना व जड़ सड़न रोगों से रक्षा करती है।

जे.टी-11 (पी.के.डी.एस.-11): यह किस्म 82 से 85 दिनों में पकने के लिए तैयार होती है और 650 से 700 किलो तक उत्पादन हो सकता है। इसके दानों का रंग हल्का भूरा होता है और तेल की मात्रा 46-50 प्रतिशत होती है।

जे.टी-12 (पी.के.डी.एस.-12): इस किस्म में तेल की मात्रा 50 से 53 प्रतिशत होती है और यह 80 से 85 दिनों में पकने के लिए तैयार होती है। यह किस्म मैक्रोफोमिना रोग के लिए सहनशील है और गर्मी के मौसम में भी उपयुक्त है।

जवाहर तिल 306: यह किस्म 86 से 90 दिनों में पकने के लिए तैयार होती है और उससे 700 से 900 किलो तक तिल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो सकता है। इसकी रोगरोधी क्षमता भी उच्च है।

जे.टी.एस. 8: इस किस्म में तेल की मात्रा 52 प्रतिशत होती है और 600 से 700 किलो तक उत्पादन हो सकता है।

तिल की खेती से प्राप्त मुनाफा

तिल की उचित देखभाल में, एक एकड़ से सिंचित अवस्था में 400 से 480 किलोग्राम और असिंचित अवस्था में 200 से 250 किलो तक तिल का उत्पादन हो सकता है। तिल का बाजारी मूल्य 10 से 15 हजार प्रति क्विंटल तक हो सकता है। सरकार भी हर साल तिल की समर्थन मूल्य तय करती है, जो किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है।

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