ये किसान मचान विधि से परवल की खेती कर बना धनवान, हर रोज होती है 3 से 4,000 रूपये की आमदनी

सतेन्द्र कुमार ने बताया कि वे रोज़ाना एक एकड़ से एक क्विंटल परवल का उत्पादन करते हैं, और वर्तमान में परवल की कीमत तीन हजार से चार हजार रुपए के आसपास है। इससे उन्हें रोज़ाना 3 से 4 हजार रुपए की कमाई हो रही है।

ये किसान मचान विधि से परवल की खेती कर बना धनवान, हर रोज होती है 3 से 4,000 रूपये की आमदनी
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ये किसान मचान विधि से परवल की खेती कर बना धनवान, हर रोज होती है 3 से 4,000 रूपये की आमदनी


किसान सतेन्द्र कुमार, जो टंडसपुर गांव के रहने वाले हैं, ने अपनी जिंदगी को एक नए दिशा में मोड़ दिया है जब उन्होंने नानी के घर से आए एक आईडिया को अपनाया। परवल की खेती करने का यह नया कदम ने उनके लिए आय का स्रोत बना दिया है।

परवल की खेती - धान और गेहूं की तुलना में अधिक मुनाफा





सतेन्द्र कुमार ने बताया कि पहले वे धान और गेहूं की खेती करते थे, लेकिन उन्हें इसमें लागत के साथ मुनाफा कम होने का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद, उन्होंने परवल की खेती करना शुरू किया और यहां तक कि उनकी आमदनी अन्य फसलों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा हो गई।

शिक्षा का महत्व - खेती के साथ अग्रिकल्चर डिप्लोमा की पढ़ाई





सतेन्द्र कुमार ने बताया कि उन्होंने खेती के साथ-साथ एक अग्रिकल्चर डिप्लोमा की पढ़ाई की है, जिससे उन्हें खेती के क्षेत्र में और भी माहिरी हासिल हुई है। वे अब विचार कर रहे हैं कि डिग्री पूरी होने के बाद खेती के साथ-साथ दवा और बीज की दुकान भी खोल सकते हैं।

मचान विधि - खेती को करें और भी कारगर

किसान सतेन्द्र कुमार ने बताया कि परवल की खेती के लिए मचान बनाने के लिए दो तरह की मचान विधियों का उपयोग किया जाता है - नेट वाला मचान और खुद से बनाया गया मचान। वह सलाह देते हैं कि खुद से बना हुआ मचान ज्यादा दिनों तक टिकता है और फसल को आंधी या तेज हवा से बचाता है।

रोज़ाना की कमाई - परवल की खेती से बदल गई किसान की दिनचर्या

सतेन्द्र कुमार ने बताया कि वे रोज़ाना एक एकड़ से एक क्विंटल परवल का उत्पादन करते हैं, और वर्तमान में परवल की कीमत तीन हजार से चार हजार रुपए के आसपास है। इससे उन्हें रोज़ाना 3 से 4 हजार रुपए की कमाई हो रही है।

खेती में जैविक खाद का महत्व

सतेन्द्र कुमार ने बताया कि वे खेती के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिसे वे खुद से तैयार करते हैं। यह उनकी फसल को और भी पौष्टिकता प्रदान करता है और उनके खेतों की मिट्टी को हल्का बनाता है।

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