उत्तर प्रदेश का ये किसान गर्मी की इन सब्जियों से कमा रहा लाखों रुपये, आप भी जाने

तोरई की खेती करने वाले किसानों के लिए यह खबर बेहद खास है। तोरई सब्जियों में एक नगदी फसल के रूप में जानी जाती है, जिसके पौधे लता बेल की तरह फैलते हैं।

उत्तर प्रदेश का ये किसान गर्मी की इन सब्जियों से कमा रहा लाखों रुपये, आप भी जाने
X

तोरई की खेती करने वाले किसानों के लिए यह खबर बेहद खास है। तोरई सब्जियों में एक नगदी फसल के रूप में जानी जाती है, जिसके पौधे लता बेल की तरह फैलते हैं। इसका उगाने का समय लगभग दो महीने होता है। लेकिन फर्रुखाबाद के कायमगंज क्षेत्र के हाजीपुर गांव के किसान पंकज गंगवार हर महीने एक लाख रुपए से ज्यादा का मुनाफा कमा रहे हैं।

इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से सफल किसान पंकज गंगवार ने बताया कि वह तोरई की खेती को तीन साल से कर रहे हैं। उनके खेत में कुल दो बीघे क्षेत्र है और उनकी लागत एक बीघे में 25 से 30 हजार रुपए के बीच होती है। उनकी खेती से रोजाना 3 कैरेट तोरई का उत्पादन होता है और एक कैरेट में 24 किलो माल होता है।

गंगवार ने बताया कि वे सबसे पहले तोरई की नर्सरी तैयार करते हैं। खेतों में रोपाई के बाद लगभग एक महीने में तोरई निकलने लगती है। यहां तैयार नर्सरी से खेत में रोग कम होते हैं और लागत भी कम आती है। वर्तमान में तोरई की कीमत बाजार में 50 से 70 रुपए प्रति किलो है और इस वजह से किसान को अच्छा मुनाफा होता है। अगर लटक पद्धति से खेती की जाए तो लगभग 25 हजार रुपए की लागत आती है। तोरई के एक बीघा खेत में 70-80 हजार रुपए की आसानी से कमाई हो जाती हैं.

तोरई की खेती करने के लिए गर्म और आद्र जलवायु सहायक हैं और इसके लिए 25 से 37 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त है। मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

किसान पंकज गंगवार ने बताया कि तोरई की डिमांड छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों के बाजारों में भी है और इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा और विटामिन-ए होते हैं। तोरई की बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है और यह 70-80 दिनों में फल देना शुरू कर देती है।


Next Story
Share it