इस किसान ने हैदाराबाद से मगवाए सिर्फ 10 किलो धान के बीज को बोया 2 एकड़ मे, शुगर मरीजों के लिए है वरदान, अभी से बुकिंग हो गई है शुरू

उनके अनुसार, इसके चावल खाने से लोगों को ऊर्जा मिलती है, लेकिन यह चावल शुगर पेशेंट, बीपी पेशेंट और कोलेस्ट्रॉल पेशेंटों के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं।

इस किसान ने हैदाराबाद से मगवाए सिर्फ 10 किलो धान के बीज को बोया 2 एकड़ मे, शुगर मरीजों के लिए है वरदान, अभी से बुकिंग हो गई है शुरू
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इस किसान ने हैदाराबाद से मगवाए सिर्फ 10 किलो धान के बीज को बोया 2 एकड़ मे, शुगर मरीजों के लिए है वरदान, अभी से बुकिंग हो गई है शुरू



बिहार के गया जिले में जीरो कैलोरी धान की खेती की शुरुआत हो रही है, जो शुगर, बीपी, और कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए एक आशा की किरण है। इस नई धान की खेती के पीछे एक योग्य और सोचने वाले किसान की कहानी है, जिन्होंने जैविक खेती के साथ मछली पालन का अनूठा तरीका अपनाया है।

जीरो कैलोरी धान

जीरो कैलोरी धान एक अनोखी विधि है जिसमें धान की खेती के लिए मछली पालन का उपयोग किया जाता है। बिहार के गया जिले के किसान डॉक्टर अनिल कुमार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया है और उनके अनुसार, इसके चावल खाने से लोगों को ऊर्जा मिलती है, लेकिन यह चावल शुगर पेशेंट, बीपी पेशेंट और कोलेस्ट्रॉल पेशेंटों के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं।

खेती के साथ मछली पालन

डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने खेती में किसी भी तरह के उर्वरक का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि वे एक बीघा में तालाब खुदवाकर मछली पालन कर रहे हैं। तालाब के पानी को धान की खेती में उपयोग करके वे नई धान की पैदावार में सफल रहे हैं। मछली पालन में उपयोग किए जाने वाले चारा और दवाई के साथ तालाब के पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे खाद के रूप में यह उपयोगी होता है।

जीरो कैलोरी धान के फायदे

जीरो कैलोरी धान का चावल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है, लेकिन इसमें फैट और शुगर की मात्रा नहीं होती है, जिससे यह शुगर पेशेंट, बीपी पेशेंट और कोलेस्ट्रॉल पेशेंटों के लिए उपयोगी हो सकता है। इसके अलावा, इस धान की खेती के लिए किसी भी उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती, जो उपयासी हो सकता है।

खेती का सफल प्रयास

डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि वे मात्र 10 किलो बीज का उपयोग करके 2 एकड़ धान की खेती की हैं, जिसमें लगभग आधा बिचड़ा बच गया है। इस धान के उत्पादन में उन्होंने किसी भी खाद का उपयोग नहीं किया और फिर भी उत्पादन में सफल रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया की इस धान को लेने वालों की अभी से बुकिंग शुरू हो गई है


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