इस किसान ने बिना पानी के सूखी जमीन पर धान की खेती कर चौंका दिया था दुनिया को, मिल चुके हैं कई अवार्ड, जानिए कौन है ये किसान

मसानोबू फुकुओका, जिन्होंने अपनी अनूठी खेती तकनीकों के साथ धान की खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन किया, वे जापान के किसान जो दुनिया को एक नया दृष्टिकोण दिखाते हैं।

इस किसान ने बिना पानी के सूखी जमीन पर धान की खेती कर चौंका दिया था दुनिया को, मिल चुके हैं कई अवार्ड, जानिए कौन है ये किसान
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इस किसान ने बिना पानी के सूखी जमीन पर धान की खेती कर चौंका दिया था दुनिया को, मिल चुके हैं कई अवार्ड, जानिए कौन है ये किसान


मसानोबू फुकुओका, जिन्होंने अपनी अनूठी खेती तकनीकों के साथ धान की खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन किया, वे जापान के किसान जो दुनिया को एक नया दृष्टिकोण दिखाते हैं। उन्होंने अपने अनूठे तरीकों से कम पानी में भी उच्च पैदावार प्राप्त की और परंपरागत खेती तकनीकों की मुकाबले करके दिखाया कि सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण के साथ ही आधुनिक तकनीक से भी जोड़ा जा सकता है।

जापानी तकनीक:

मसानोबू फुकुओका ने 'द वन-स्ट्रॉ रेवोल्यूशन' किताब में बताया कि वे कैसे कम पानी या बिना पानी में भी धान की खेती करते थे। उनके अनुसार, कम ऊंचाई वाले पौधे उच्च पैदावार प्रदान करते हैं और उन्हें कीटों से भी बचाते हैं। उन्होंने धान की बुवाई से पहले खेतों में पानी को जाने से रोक लेते ताकि खरपतवार मरने से बचा सकें।

मुनाफा और पर्यावरण संरक्षण:

मसानोबू की तकनीक से उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता था। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और उनके जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ी। साथ ही, इस तकनीक से जल संवर्धन भी होता है जिससे भूमि का संरक्षण किया जाता है।

मसानोबू के अनुसार यदि किसी पौधे की ऊंचाई लंबी हो तो उसमें से 1000 किलोग्राम तक भूसा निकलता है. वहीं अगर पैदावार की बात करें तो इससे करीब 500 से 600 किलो चावल का उत्पादन होता है. जबकि मसानोबू की तकनीक के अनुसार 1000 किलो भूसे के साथ 1000 किलो चावल भी पैदा किया जाता है. फसल अच्छी हो तो उपज 1200 किग्रा तक हो जाती है

कौन थे यह किसान

मसानोबु फुकुओका का जन्म 2 फरवरी 1913 को जापानी द्वीप शिकोकू में हुआ था. मसानोबु फुकुओका, शिकोकू द्वीप के जापानी किसान और द वन-स्ट्रॉ रेवोल्यूशन के लेखक भी थे. 16 अगस्त, 2008 को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया. 1988 में मसानोबू फुकुओका को लोक सेवा के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

मसानोबू फुकुओका की महत्वपूर्ण यात्रा:

मसानोबू फुकुओका का पूरा जीवन एक संघर्षपूर्ण यात्रा रहा। वे किसानों को परंपरागत खेती तकनीकों से बाहर निकलकर उन्नति और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मिसाल बने। उन्होंने अपने सोच और कृतित्व से दुनिया को यह सिख दिलाया कि आधुनिकता और परंपरागत संस्कृति को मिलाकर नए समृद्धि के मार्ग खोल सकते हैं।

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