खेत का खजाना है यह खेती, किसान भाई कर रहे है लबालब कमाई, मात्र 4 महोने में ढाई लाख की कमाई

खेत का खजाना है यह खेती, किसान भाई कर रहे है लबालब कमाई, मात्र 4 महोने में ढाई लाख की कमाई
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खेत का खजाना है यह खेती, किसान भाई कर रहे है लबालब कमाई, मात्र 4 महोने में ढाई लाख की कमाई

खेत खजाना: बिहार में किसानों का एक नया रुझान बन रहा है, वह है तंबाकू की खेती। तंबाकू की खेती से किसानों को कम लागत, कम समय और ज्यादा मुनाफा मिलता है। इसके अलावा, तंबाकू की फसल को बेचने में भी कोई परेशानी नहीं होती है, क्योंकि व्यापारी खेत पर ही फसल को उचित दाम पर खरीद लेते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि तंबाकू की खेती कैसे करें, इसके लिए कौन सी मिट्टी, जलवायु और तापमान उपयुक्त हैं, इसकी किस्में कौन-कौन सी हैं और इससे कितनी कमाई हो सकती है।

तंबाकू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान

तंबाकू की खेती करने के लिए हल्की भुरभुरी या लाल दोमट मिट्टी की जरूरत होती है। इसके लिए खेत में जलभराव की समस्या नहीं होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव से तंबाकू के पौधे खराब हो जाते हैं। इसके लिए भूमि का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए।

तंबाकू की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। इसके लिए वर्षा की मात्रा 100 सेंटीमीटर से कम होनी चाहिए। तंबाकू के पौधों को अंकुरित होने के लिए 15 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए, विकास के दौरान 20 डिग्री सेल्सियस का और पकने के दौरान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस का। तंबाकू की खेती को समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई तक करना उचित होता है।

तंबाकू की किस्में

तंबाकू की अलग-अलग किस्में होती हैं, जो निकोटिन की मात्रा, रंग, आकार और उपयोग के आधार पर भिन्न होती हैं। तंबाकू की किस्मों को मुख्य रूप से दो प्रजातियों में बांटा जा सकता है - निकोटियाना टैबैकम (Nicotiana tabacum) और निकोटियाना रुस्टिका (Nicotiana rustica)। निकोटियाना टैबैकम की किस्में सिगरेट, सिगार, हुक्का और बीडी बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं, जबकि निकोटियाना रुस्टिका की किस्में खैनी, जर्दा और पान मसाला बनाने के लिए।

निकोटियाना टैबैकम की कुछ प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:

एमपी 220: यह किस्म बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उगाई जाती है। इसकी उपज 800 से 1000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है। इसकी पत्तियां लंबी और चौड़ी होती हैं। इसका निकोटिन का स्तर 1.5 से 2 प्रतिशत होता है। 1

टाइप 23: यह किस्म गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में उगाई जाती है। इसकी उपज 1000 से 1200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है। इसकी पत्तियां छोटी और गोल होती हैं। इसका निकोटिन का स्तर 2.5 से 3 प्रतिशत होता है।

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