मूंगफली के पत्तों पर पनप रहा है टिक्का रोग, महंगे नहीं बल्कि सस्ते कीटनाशकों का करें छिड़काव, उत्पादन होगा दुगना

टिक्का रोग के कारण मूंगफली की उपज पर 50 प्रतिशत या इससे अधिक का नुकसान हो सकता है। इसलिए, टिक्का रोग के प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाना आवश्यक है।

मूंगफली के पत्तों पर पनप रहा है टिक्का रोग, महंगे नहीं बल्कि सस्ते कीटनाशकों का करें छिड़काव, उत्पादन होगा दुगना
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खेतखाजाना

मूंगफली के पत्तों पर पनप रहा है टिक्का रोग, महंगे नहीं बल्कि सस्ते कीटनाशकों का करें छिड़काव, उत्पादन होगा दुगना

टिक्का रोग: मूंगफली में होने वाली एक प्रमुख बीमारी

मूंगफली की फसल में टिक्का रोग एक बीमारी है। यह रोग पौधों के पत्तों पर प्रभावित होता है और पत्तों पर धब्बे बनाता है। यह धब्बे पहले मेजबान पत्तियों पर दिखाई देते हैं और बाद में तने पर घाव विकसित होते हैं। यह रोग मूंगफली के दो प्रमुख जीनस Cercospora की दो अलग-अलग प्रजातियों के कारण होता है, और मौसम में होने वाले बदलावों के कारण भी विकसित हो सकता है। बारिश और अत्यधिक धूप या गर्मी टिक्का रोग के प्रसार को बढ़ा सकते हैं।





टिक्का रोग के लक्षण

टिक्का रोग से प्रभावित पौधों में नुकसान होता है। रोग के कारण मूंगफली के पौधों में पतझड़ होता है और उपज का कमी होता है। टिक्का रोग के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:





पत्तों पर धब्बे बनना

घाव या परिगलित घाव पत्तियों पर दिखाई देना

भूरे रंग के छोटे और गोलाकार घाव पत्तियों पर दिखाई देना

टिक्का रोग के कारण मूंगफली की उपज पर 50 प्रतिशत या इससे अधिक का नुकसान हो सकता है। इसलिए, टिक्का रोग के प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाना आवश्यक है।

टिक्का रोग का प्रबंधन

टिक्का रोग से निपटने के लिए निम्नलिखित उपायों का उपयोग किया जा सकता है:

ग्रसित पत्तियों का हटाना: रोग के प्रसार को रोकने के लिए, ग्रसित पौधों की पत्तियों को जल्दी से जल्दी हटा देना चाहिए। इससे बाकी पत्तियां सुरक्षित रहेंगी और रोग का प्रसार कम होगा।

प्रतिरोधी जीनोटाइप और बीज उपचार: स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस (Pseudomonas fluorescens) के तालक-आधारित पाउडर फॉर्मूलेशन का उपयोग करके पत्तों पर टिक्का रोग की पनपने की संभावना कम की जा सकती है। यह उपचार प्रभावी हो सकता है और रोग के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है।

फंगाइसाइड का उपयोग: ट्राइकडर्मा विराइड (5 प्रतिशत) और वर्टिसिलियम लेकेनी (5 प्रतिशत) का छिड़काव टिक्का रोग की गंभीरता को कम कर सकता है। इन फंगाइसाइड के स्प्रे का उपयोग करने से रोग के प्रसार को रोका जा सकता है।

नीम के उपयोग: नीम के पत्तों का अर्क (5 प्रतिशत), मेहंदी (2 प्रतिशत), नीम का तेल (1 प्रतिशत), और नीम की गिरी का अर्क (3 प्रतिशत) टिक्का रोग को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। इन नीम के प्रोडक्ट्स को स्प्रे करके रोग के प्रसार को रोका जा सकता है।

फंगीसाइडल स्प्रे: हेक्साकोनाजोल (0.2 फीसदी), कार्बेन्डाजिम (0.1 फीसदी) + मैनकोजेब (0.2 फीसदी), टेबुकोनाजोल (0.15 फीसदी), और डिफेनकोनाजोल (0.1 फीसदी) जैसे फंगीसाइडल स्प्रे का उपयोग करके टिक्का रोग को कम किया जा सकता है। इन स्प्रे को फसल पर ध्यानपूर्वक छिड़काव करना चाहिए।

विटामिन और पोषक तत्वों का उपयोग: बाविस्टिन (0.1 प्रतिशत) और नीम की पत्ती का अर्क (2 प्रतिशत) + 1.0 प्रतिशत K2O का उपयोग करने से टिक्का रोग की गंभीरता कम हो सकती है। ये पोषक तत्व रोग को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

टिक्का रोग से बचाव के लिए उपरोक्त उपायों का नियमित रूप से उपयोग करना चाहिए। स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेना भी उचित हो सकता है। यह सुनिश्चित करेगा कि आपकी मूंगफली की फसल स्वस्थ रहेगी और आपको अच्छी उपज मिलेगी।

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