खराबे के आकलन के लिए बाजरे के हर खेत की होगी गिरदावरी रिपोर्ट आते ही मिलेगा किसानों को मुआवजा

एचएयू, हिसार ने स्पष्ट रूप से सलाह दी कि अनाज भरने के चरण में या परिपक्व होने वाली फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करने से अनाज और चारे पर अवशिष्ट प्रभाव पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव पड़ेगा।

खराबे के आकलन के लिए बाजरे के हर खेत की होगी गिरदावरी रिपोर्ट आते ही मिलेगा किसानों को मुआवजा
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खेत खजाना चंडीगढ़ , 28 अगस्त - हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया हरियाणा सरकार के मानदंडों/निर्देशों के अनुसार चल रही बाजरे की फसल में नुकसान की सत्यापन प्रक्रिया पूर्ण होने उपरान्त मुआवजे का वितरण तुरंत किया जाएगा, बाजरे की फसल में नुकसान चाहे कीट हमले से हुआ हो या बाढ़ के कारण हुआ हो .

श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में बाजरे की फसल राज्य के 13 जिलों जिनमें महेंद्रगढ़ , चरखी दादरी, रेवाड़ी, भिवानी, झज्जर , पलवल , गुरुग्राम , मेवात , रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा और जींद में 11,89,214 एकड़ क्षेत्र में बोई गई थी। जब वैज्ञानिकों को जानकारी मिली तो चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू ), हिसार ने 12 जुलाई 2023 को बालों वाली सुंडी के प्रबंधन के लिए एक सलाह जारी की थी।

डिप्टी सीएम ने आज यहाँ विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए बताया कि हेलीकोवर्पा आर्मिजेरा (अमेरिकन सुंडी) के प्रकोप पर एचएयू ने 8 अगस्त 2023 को महेंद्रगढ़ जिला के अटेली खंड के 20 स्थानों पर विशेषज्ञों के माध्यम से एक सर्वेक्षण किया। इन 20 स्थानों में से 18 पर अमेरिकन सुंडी का हमला 0-25% के बीच देखा गया। विशेषज्ञों ने देखा कि जहां यह सुंडी आमतौर पर कपास, टमाटर और चने की फसलों पर हमला करती है, वहीं इसने मई और जून, 2023 में बोई गई बाजरा की फसल पर हमला किया है। हरियाणा में बुआई के लिए एचएयू का मानक अनुशंसित समय जुलाई के पहले पखवाड़े में है, परंतु पूरे अटेली खंड में तुलनात्मक रूप से बहुत जल्दी यानी मई के आखिरी सप्ताह से जून के प्रथम सप्ताह में फसल बोई गई थी।

श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अमेरिकन बॉलवर्म का प्रकोप महेंद्रगढ़, भिवानी, रेवाडी, चरखी दादरी और झज्जर जिलों में भी देखा गया। एचएयू, हिसार द्वारा 09 अगस्त 2023 को कृषि विभाग को एक सलाह जारी की गई थी और सभी जिला मुख्यालयों को इसे उपचारात्मक / सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने के लिए अवगत कराया गया था। बाजरे की फसल में हेलिकोवर्पा आर्मिजेरा सहित कीडा-कीट की निगरानी और नियंत्रण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने कुल 1793 कैंप लगाए गए। इनमें भिवानी जिला में 622 , चरखी दादरी में 113, झज्जर में 428, रेवाड़ी में 348 , गुरुग्राम में 18 , महेंद्रगढ़ में 264 कैंप लगाए गए।

उन्होंने आगे यह भी बताया कि विभाग द्वारा प्रभावित जिलों को 17 लाख रुपये का बजट उपलब्ध कराया गया। फसल की ऊंचाई लगभग 7-9 फ़ीट होने के कारण फसल पर स्प्रे करने के लिए ड्रोन का प्रयोग करने का प्रयास अव्यवहारिक पाया गया , क्योंकि अधिक ऊंचाई से स्प्रे करने पर स्प्रे प्रभावी नहीं होता।

उन्होंने बताया कि एचएयू हिसार द्वारा जारी सलाह के अनुसार भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा वैसे तो बाजरे की फसल में किसी भी रसायन के स्प्रे करने की सिफारिश नहीं की है लेकिन कुछ कीटनाशक हैं जिन्हे एचएयू की प्रथाओं के पैकेज अनुसार हेलीकोवर्पा आर्मिजेरा के प्रबंधन के लिए कपास और चने की फ़सल में अनुशंसित किया है।

एचएयू, हिसार ने स्पष्ट रूप से सलाह दी कि अनाज भरने के चरण में या परिपक्व होने वाली फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करने से अनाज और चारे पर अवशिष्ट प्रभाव पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव पड़ेगा।

उपमुख्यमंत्री के अनुसार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तुत जानकारी अनुसार कीट के हमले के कारण बाजरे की बुआई के कुल 11,89,214 एकड़ क्षेत्र में से 3,02,344 एकड क्षेत्र प्रभावित पाया गया है। यह नुकसान 6 जिलों नामतः महेंद्रगढ़

में कुल बोये गए 2,49,655 एकड़ क्षेत्रफल में से 1,15,950 एकड़ प्रभावित, चरखी दादरी में कुल बोये गए 1,55,000 एकड़ में से 34,225 एकड़ प्रभावित, रेवाड़ी में कुल बोये गए 1,81,622 एकड़ में से 53,127 एकड़ प्रभावित, भिवानी में कुल बोये गए 1,70,075 एकड़ में से 81,500 एकड़ प्रभावित, झज्जर में कुल बोये गए 56,000 एकड़ में से 12,600 एकड़ प्रभावित और गुरुग्राम में कुल बोये गए 1,75,120 एकड़ में से 4,942 एकड़ फसल प्रभावित बताया गया है।

उन्होंने आगे जानकारी दी कि जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमा करवाया है, उन्हें फसल कटाई प्रयोगों के परिणाम के आधार पर फसल की उपज का आकलन करने के बाद बाजरे की उपज में नुकसान की भरपाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रभावित व्यक्तियों और परिवारों के लिए उनके घर, पशुधन, फसलों और वाणिज्यिक चल संपत्ति के संबंध में क्षति/नुकसान के लिए दावे प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को आसान बनाना, क्षति के सत्यापन और समयबद्ध तरीके से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से मुआवजे के वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक पोर्टल https://eskhipurti.harana.gov.in/ लॉन्च किया गया है। यह पोर्टल जनता के लिए अपने दावे अपलोड करने के लिए 25 अगस्त 2023 तक खुला रखा था।

श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि क्षतिपूर्ति पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार बाजरे में कीट के हमले के कारण 19 जिलों नामतः अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल, पानीपत, रेवाडी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर के 56,366 किसानों ने करीब 2,00,566 एकड़ क्षेत्र के लिए बाजरे की फसल के नुकसान हेतु मुआवजे का दावा अपलोड किया है।

उन्होंने यह भी बताया कि कीट के हमले के अलावा अन्य कारणों से बाजरे की फसल को हुए नुकसान के लिए राज्य के सभी जिलों में 8,755 किसानों ने लगभग 14,480 एकड़ क्षेत्र में मुआवजे के दावे अपलोड किए हैं। हरियाणा सरकार के मानदंडों/निर्देशों के अनुसार चल रही सत्यापन प्रक्रिया पूर्ण होने उपरान्त मुआवजे का वितरण तुरंत किया जाएगा। बाजरे की फसल में नुकसान चाहे कीट हमले से हुआ हो या बाढ़ के कारण हुआ हो, राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि (एसडीआरएफ) मुआवजा मानदंड (प्रति किसान 2 हेक्टेयर की सीमा के अधीन) के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अगर फ़सल में नुकसान की सीमा 25 से 50 प्रतिशत है तो 7000 रुपए प्रति एकड़ , 50 से 75 प्रतिशत नुकसान में 9000 रुपए प्रति एकड़ तथा 75 और इससे अधिक प्रतिशत नुकसान होने पर फसल की मुआवजा 12500 रुपए प्रति एकड़ दिया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए प्रभावित किसानों को न्यूनतम सहायता कम से कम 1,000 रुपये प्रति किसान और सिंचित क्षेत्रों के लिए 2,000 रुपये प्रति किसान दी जाती है। उन्होंने आगे बताया कि 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले किसानों को कोई न्यूनतम सहायता प्रदान नहीं की जाएगी। इसके अलावा, बीमा योजना के तहत फसल मुआवजा पाने वाला क्षेत्र एसडीआरएफ के तहत मुआवजे के लिए पात्र नहीं होगा।

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