यूरिया के साथ इस उर्वरक का प्रयोग करने से कम हो जाएगी पैदावार, जानें

भारत में किसान अपनी खेती के लिए खाद और उर्वरक का सही मिश्रण ढूंढ़ने में हमेशा सकारात्मक परिणाम चाहता है।

यूरिया के साथ इस उर्वरक का प्रयोग करने से कम हो जाएगी पैदावार, जानें
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भारत में किसान अपनी खेती के लिए खाद और उर्वरक का सही मिश्रण ढूंढ़ने में हमेशा सकारात्मक परिणाम चाहता है। इस विचार में, यूरिया का प्रयोग बहुत बड़ी मात्रा में किया जाता है, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग फसलों को जहरीला बना सकता है। किसानों को इस समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए संतुलित मात्रा में यूरिया का उपयोग करना चाहिए।

यूरिया के साथ नैनो यूरिया के प्रयोग पर हाल ही में होने वाले एक शोध के अनुसार, नैनो यूरिया का इस्तेमाल से कुछ क्षेत्रों में परिणाम उजागर हो रहे हैं। कुछ किसानों ने यूरिया के साथ नैनो यूरिया का उपयोग किया है और उन्हें अच्छे उत्पादकता के लिए संतुलित साबित किया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, नैनो यूरिया का तरल रूप से आना कुछ क्षेत्रों में उपयुक्त है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक और सही मात्रा में ही प्रयोग करना चाहिए। अब हाल ही के कुछ रिसर्च ने दिखाया है कि नैनो यूरिया के अधिक प्रयोग से पैदावार में कमी आ सकती है और फसल का उत्पादन 2 क्विंटल तक गिर सकता है।

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के एक शोध के अनुसार, नैनो यूरिया के इस्तेमाल से फसल की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव, प्रोटीन सामग्री में उल्लेखनीय गिरावट और खेती के खर्च में समग्र बढ़ोतरी को उजागर किया गया है। इस यूनिवर्सिटी की ओर से नैनो यूरिया पर किए गए शोध के अनुसार जो परिणाम आए हैं, वे इसके द्वारा पैदावार बढ़ाने के दावे पर प्रश्न चिह्न लगाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार पैक्स को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है और दो लाख भंडारण इकाईयां बनाने की योजना है। उन्होंने किसानों से यूरिया और नैनो यूरिया के सही मिश्रण का ध्यान रखने की सलाह दी और कहा कि नैनो यूरिया को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।

साथ ही, एक और शोध ने दिखाया कि नैनो यूरिया के उपयोग से गेहूं की पैदावार में 20% तक की कमी आ सकती है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च के अनुसार, नैनो-यूरिया के इस्तेमाल से गेहूं की पैदावार में 21.6% की गिरावट देखी गई है। इससे किसानों की आय में कमी होने की संभावना है जो सरकार को गंभीरता से लेकर इस समस्या का समाधान ढूंढने पर उत्तेजित कर रही है।

इस तथ्य पर मोदी ने जताया कि किसानों को सही गाइडेंस देने के लिए सरकार उन्हें तकनीकी समर्थन भी पहुंचा रही है। नैनो यूरिया के सही तरीके से प्रयोग के लिए राष्ट्रीय खादी एवं उर्वरक संस्थान (नीपी) और अन्य संबंधित संस्थानों से सहारा मिलेगा।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने भविष्य में होने वाले किसानों के लिए और नई तकनीकी उपयोग करने के लिए योजनाएं बताते हुए कहा कि वे सुनिश्चित करें कि किसान अपनी खेती को सबसे बेहतर तकनीक से करें ताकि उनकी आय में वृद्धि हो और वह सुस्ती के खिलाफ तैयार हों।

इस प्रकार, सरकार ने किसानों को आगाह किया है कि यूरिया और नैनो यूरिया के सही मिश्रण में ही उनकी खेती का सफलता सूत्र छिपा है और सही मात्रा में इनका प्रयोग करना चाहिए। न केवल उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि यह उन्हें जहरीले प्रभावों से भी बचाएगा और खेती की लागतों में कमी करेगा।

इस सबके साथ, सरकार ने अच्छे खेती प्रणाली की ओर एक कदम और बढ़ाया है जिससे किसानों को नई तकनीकों और सही खेती प्रणाली का सही तरीके से उपयोग करने का मौका मिलेगा।

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