गेहूं की खेती: पोषक तत्वों का महत्व, किसान गेंहू की फसल बोने से पहले जरूर करें पोषक तत्व प्रबंधन
गेहूं की खेती: पोषक तत्वों का महत्व

भारत में चावल के बाद गेहूं दूसरा सबसे महत्वपूर्ण भोज्य पदार्थ है। गेहूं की खेती देशभर में की जाती है, और मध्यप्रदेश के किसानों के लिए यह बेहद महत्त्वपूर्ण है। गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए पोषक तत्वों का संतुलन बहुत जरूरी है।
गेहूं की बेहतर खेती के लिए नुकसानकारक स्थितियों का परीक्षण
मिट्टी की जाँच खेती के लिए महत्त्वपूर्ण है। परीक्षण के आधार पर नाइट्रोजन, फास्फेट, और पोटाश की उचित मात्रा का निर्धारण करना चाहिए। इसके अलावा, जिंक सल्फेट का भी प्रयोग करना चाहिए, जो 3 फसलों के बाद किया जाए।
मानसूनी प्रजातियों में उर्वरकों की मात्रा
वर्षा आधारित प्रजातियों में पूरी उर्वरकों की मात्रा को बुवाई के समय डाल देना चाहिए। पानी की कमी वाली प्रजातियों में 50% नाइट्रोजन, सल्फर, और पोटाश की मात्रा बुवाई से पहले डालनी चाहिए।
सही सिंचाई की मात्रा
पूर्ण सिंचित प्रजातियों में भी ध्यान देना चाहिए। नाइट्रोजन, सल्फर, और पोटाश की पूरी मात्राएं बुवाई के समय डाल देनी चाहिए और शेष मात्रा को प्रथम और द्वितीय सिचाई के बाद डालना चाहिए।
खाद्य तत्वों का सही इस्तेमाल
खाद्य तत्वों को फसल में सही रूप से प्रयोग करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेना चाहिए। सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति लक्षणों के आधार पर खाद्य तत्वों की पर्ण छिड़काव से करना चाहिए।
इस प्रकार, गेहूं की बेहतर उत्पादकता के लिए ये उपाय कारगर हो सकते हैं। किसानों को इन तकनीकों का सही तरीके से अनुसरण करना चाहिए ताकि उन्हें बेहतर मानसूनी फसल मिल सके।