Wheat Cultivation: इस बार गेहूं की बंपर पैदावार दे सकते हैं ये इलाके, इन खास तरीकों से करनी होगी बुवाई

Wheat Cultivation: इस बार गेहूं की बंपर पैदावार दे सकते हैं ये इलाके, इन खास तरीकों से करनी होगी बुवाई
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गेहू की बुआई का समय शुरू हो चूका है और मौसम भी अनुकूल है। तो गेहू की बुआई के लिए खेत को कैसे तैयार करना है और क्या काम आपको करने चाहिए जिससे गेहू के उत्पादन में बढ़ोतरी हो और सिंचाई आदि सही जानकारी होना जरुरी है इस लेख में आपको ये सब नार्मल जानकारी देने वाले है

गेहू की बुआई का समय एवं तापमान

गेहू की बुआई का समय शुरू हो चूका है उत्तर भारत में अक्टूबर से दिसम्बर महीने तक , मध्य भारत में अक्टूबर से नवंबर एवं दक्षिण मध्य भारत के हिस्सों में नवंबर से दिसम्बर महीने के दौरान गेहू की बुआई का उचित समय होता है वही पर गेहू की बुआई के लिए तापमान , खेतो में नमी और क्षेत्र के हिसाब से वैरायटी का चयन काफी महत्वपूर्ण होता है। गेहू की बुआई के लिए अनुकूल तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इस दौरान गेहू का अंकुरण काफी अच्छा होता है साथ में ही गेहू की बिजाई से पूर्व नमी की मात्रा पर्याप्त होनी जरुरी है नहीं तो अंकुरण कम होगा और खेत में गेहू का उत्पादन प्रभावित होता है।

गेहू का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या करे

गेहू की बुआई के दौरान एवं बाद में कुछ बातो का ध्यान रखने से किसान खेतो में उत्पादन को बढ़ा सकते है इसके लिए गेहू की क्षेत्र के मौसम एवं पानी की उपलब्धता के हिसाब से वैरायटी का चयन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके साथ ही खेतो में आपको उचित खाद की मात्रा का प्रयोग करना होगा। यदि खेत में सूखा अवशेष अधिक है तो आप उसको गला सकते है इसके लिए यूरिया का उपयोग किया जा सकता है यूरिया डालने के बाद खेत में अच्छे से जुताई करनी है और खेत को खाली छोड़ देना है जिससे कुछ दिनों में सूखा अवशेष गल जाता है और गेहू की फसल में खाद के रूप में फायदा भी देगा। इसके साथ ही गेहू की बुआई के लिए नई विकसित किस्मो का उपयोग करना जरुरी है क्योकि ये तापमान के प्रति शहनशील होती है

खेत में बुआई के समय ध्यान रखे ये बाते

यदि आप गेहू की बुआई ज़ीरो टेल ड्रिल या फिर सुपर सीडर की मदद से कर रहे है तो ध्यान रखे की खेत में शुष्क या अन्य प्रकार का खरपतवार मौजूद ना हो तक एक समान बुआई हो। एक समान बुआई से गेहू का उत्पादन अच्छा होता है। इसके साथ ही DAP की बुआई के साथ सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग कर सकते है। वही पर गेहू की बुआई के बाद पहली सिंचाई हल्की करनी जरुरी है इससे धरती भुरभुरी रहती है जिससे गेहू के विकास में मदद मिलती है यदि पहली सिंचाई गहरी कर देते है तो भूमि कठोर हो जाती है जिससे गेहू की जड़े अच्छे से फ़ैल नहीं पाती है। इससे गेहू का पौधा कमजोर होता है

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खरपतवार का निवारण

यदि पहले खेत में जई , बलूरी आदि खेत में रही है तो इसको खत्म करना जरुरी है इसके लिए गेहू की बुआई के 72 घंटे बाद आपको जई को खत्म करने के लिए पाईरॉक्सासलफोन की स्प्रे कर सकते है ये मंडुसी को उगने से पहले ही खत्म कर देती है 60 ग्राम दवाई को 200 लीटर पानी में मिलाकर इसकी स्प्रे कर सकते है

गेहू की उन्नंत किस्मे क्षेत्र के हिसाब से

क्षेत्रों के हिसाब से तापमान एवं अन्य प्राकृतिक कारक अलग अलग हो सकते है जिससे वैरायटी भी उसी हिसाब से चयन की जाती है यहाँ पर आपको अलग अलग क्षेत्रों के मुताबिक वैरायटी की जानकारी दी गई है

उत्तर भारत – पूसा 1121 , पूसा 1000 , पूसा 1122

हिमालय क्षेत्र – पूसा 1509 , पूसा 1662 , पूसा 173

दक्षिण भारत – पूसा 383 , पूसा 382 , पूसा 381

पश्चिमी भारत – पूसा 1209 , पूसा 1215 , पूसा 1216

इन किस्मों के अलावा, कई अन्य उन्नत किस्में भी उपलब्ध हैं। किसानों को अपने क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी और अन्य कारकों के आधार पर सही किस्म का चयन करना चाहिए।

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