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wheat prices : गेहूं की नीलामी पर सबकी नजर! सरकार ने बढ़ाई 5 लाख टन सप्लाई, क्या घटेंगे दाम, क्या होगा भविष्य की फसलों पर असर?

wheat prices : गेहूं की नीलामी पर सबकी नजर! सरकार ने बढ़ाई 5 लाख टन सप्लाई, क्या घटेंगे दाम, क्या होगा भविष्य की फसलों पर असर?

wheat prices : 28 फरवरी 2025 की सुबह है, और देशभर के किसानों से लेकर व्यापारियों तक की नजरें गुरुवार को होने वाली “wheat auction” पर टिकी हैं। सरकार ने गेहूं की कीमतों को काबू में करने के लिए नीलामी में सप्लाई को 4 लाख टन से बढ़ाकर 5 लाख टन कर दिया है। ये फैसला तब आया है, जब पिछले हफ्ते “wheat prices” में अचानक उछाल देखने को मिला। खास बात ये है कि इस 1 लाख टन की बढ़ी हुई मात्रा का 63% हिस्सा पांच बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को दिया गया है। बाकी बिहार, असम, कर्नाटक, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे टॉप 10 राज्यों ने पिछले शुक्रवार को बढ़ाई गई कुल मात्रा का 80.6% हिस्सा लिया। तो क्या ये बढ़ी सप्लाई कीमतों को नीचे लाएगी? आइए, इस खबर को करीब से समझते हैं।

गेहूं की कीमतों में हालिया उछाल ने सरकार को चौकन्ना कर दिया है। “wheat auction” में पहले 4 लाख टन की पेशकश थी, लेकिन पिछले हफ्ते की नीलामी में कीमतें आसमान छू गईं। उत्तर प्रदेश में सबसे ऊँचा बोली भाव 3,159 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा, जबकि सबसे कम 2,958 रुपये रहा। 168 खरीदारों ने 3,000 रुपये से ऊपर बोली लगाई, जबकि सिर्फ 30 ने इससे कम में खरीदा। अगर 12 फरवरी की नीलामी से तुलना करें, तो उस वक्त सबसे ऊँचा रेट 3,010 रुपये और सबसे कम 2,520 रुपये था। अब सरकार की कोशिश है कि इस बढ़ी हुई सप्लाई से “market prices” को काबू में किया जाए। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये कोशिश कामयाब होगी, खासकर जब नई फसल कुछ ही दिनों में बाजार में आने वाली है?

पांच बड़े गेहूं उत्पादक राज्य – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान – इस नीलामी के केंद्र में हैं। इन राज्यों में गेहूं का स्टॉक बेचने के लिए 63% हिस्सा बढ़ाया गया है। मध्य प्रदेश और गुजरात में नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है, और अगले 30 दिनों में बाकी राज्यों में भी ये पहुंच जाएगी। एक उद्योग विशेषज्ञ का कहना है, “अगर सप्लाई इतनी थी, तो मिलर्स 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा क्यों दे रहे हैं? सरकार अगली फसल को MSP यानी 2,425 रुपये पर खरीदने वाली है।” उनका इशारा इस ओर है कि या तो गेहूं का उत्पादन अनुमान गलत है, या फिर घरेलू खपत का आंकड़ा सही नहीं। खाद्य निगम के एक पूर्व प्रमुख ने कहा, “कृषि मंत्रालय का दावा है कि 113.29 मिलियन टन उत्पादन हुआ, और 11-12 मिलियन टन सरप्लस है। लेकिन ये दोनों सही नहीं हो सकते।”

पिछले हफ्ते की नीलामी में कीमतों का हाल कुछ ऐसा रहा। कर्नाटक में सबसे ज्यादा 3,424 रुपये प्रति क्विंटल तक बोली लगी। हरियाणा और महाराष्ट्र में 3,200 रुपये, दिल्ली में 3,131 रुपये, मध्य प्रदेश में 3,120 रुपये, गुजरात में 3,087 रुपये, राजस्थान में 3,098 रुपये, पश्चिम बंगाल में 3,091 रुपये, बिहार में 3,104 रुपये और पंजाब में 3,100 रुपये तक पहुंचा। इससे पहले 12 फरवरी को हरियाणा में सबसे ऊँचा रेट 3,335 रुपये और पंजाब में सबसे कम 2,610 रुपये था। “wheat auction” की ये ऊँची बोली दिखाती है कि बाजार में गेहूं की किल्लत है। लेकिन अब 5 लाख टन की सप्लाई बढ़ने से क्या कीमतें नीचे आएंगी? ये गुरुवार को साफ हो जाएगा।

मध्य प्रदेश में पिछले हफ्ते मंडियों में 94,000 टन से ज्यादा गेहूं की आवक हुई। खंडवा जिले में सबसे ज्यादा 12,000 टन आए, जबकि उज्जैन, सीहोर, रतलाम, धार और देवास में 6,000 टन या उससे ज्यादा की आवक रही। मंडी में औसत भाव 2,800-3,050 रुपये प्रति क्विंटल रहा। लेकिन नीलामी में कीमतें इससे ऊपर जा रही हैं। एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा, “मध्य प्रदेश और दूसरी जगहों पर बढ़ता तापमान अगली फसल को प्रभावित कर सकता है। पिछले तीन साल से गेहूं की फसल पर मौसम की मार पड़ रही है। अगर नुकसान की मात्रा बहस का विषय है, तो भी कृषि और खाद्य मंत्रालय को ICAR और प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर लंबे समय का हल निकालना होगा।” “wheat auction” का ये बढ़ता दांव भविष्य की फसलों पर भी सवाल उठा रहा है।

किसानों के लिए ये नीलामी दोहरी तलवार की तरह है। एक तरफ ऊँची कीमतें अच्छी कमाई का मौका दे रही हैं। लेकिन दूसरी तरफ, अगर सरकार MSP पर खरीद नहीं कर पाई, तो अगले सीजन में नुकसान हो सकता है। मध्य प्रदेश और गुजरात में नई फसल आ चुकी है, और पंजाब, हरियाणा, यूपी जैसे राज्यों में भी 30 दिन में आवक शुरू होगी। लेकिन मौजूदा स्टॉक की ऊँची बोली दिखाती है कि सप्लाई कम है। “wheat auction” में बढ़ी सप्लाई से कीमतें थोड़ी नरम हो सकती हैं, लेकिन मौसम का मिजाज आने वाली फसलों को प्रभावित करेगा। किसानों को चाहिए कि वो अपनी फसल की बिक्री का सही समय देखें।

अब आंकड़ों पर नजर डालते हैं। पिछले हफ्ते और 12 फरवरी की नीलामी में कीमतों का ये हाल रहा:

राज्यपिछले हफ्ते (सबसे ऊँचा)पिछले हफ्ते (सबसे कम)12 फरवरी (सबसे ऊँचा)12 फरवरी (सबसे कम)
उत्तर प्रदेश₹3,159₹2,958₹3,010₹2,520
मध्य प्रदेश₹3,120₹2,300₹2,900₹2,650
पंजाब₹3,100₹2,880₹2,610₹2,610
हरियाणा₹3,200₹2,958₹3,335₹2,520
राजस्थान₹3,098₹2,958₹3,029₹2,650
कर्नाटक₹3,424₹3,019₹3,019₹2,871

ये टेबल दिखाती है कि “wheat auction” में कीमतें ऊँची चल रही हैं। लेकिन 5 लाख टन की नई सप्लाई से गुरुवार को बदलाव की उम्मीद है।

क्या होगा आगे? मौसम की मार अगली फसलों पर असर डाल सकती है। मध्य प्रदेश में बढ़ता तापमान चिंता बढ़ा रहा है। अगर तापमान 35 डिग्री से ऊपर गया, तो फसल की पैदावार घट सकती है। सरकार को चाहिए कि वो उत्पादन अनुमान को गंभीरता से ले और खपत के आंकड़ों को सही करे। “wheat auction” का ये दौर न सिर्फ कीमतों को प्रभावित करेगा, बल्कि भविष्य की खेती पर भी सवाल उठाएगा।

तो भाइयों, अगर आप किसान हैं या गेहूं के व्यापार से जुड़े हैं, तो इस नीलामी पर नजर रखें। “wheat auction” आपकी जेब और खेत, दोनों को प्रभावित करेगी। खेत खजाना की सलाह है कि सही समय पर सही फैसला लें। मौसम और बाजार का खेल समझें, ताकि नुकसान से बचें और फायदा उठाएँ। गुरुवार का इंतजार करें – ये नीलामी बहुत कुछ साफ करेगी!

Sandeep Verma

नमस्ते दोस्तों, मैं पत्रकार संदीप वर्मा । पिछले 14 साल से पत्रकारिता में काम कर रहा हूं और अलग-अलग विषयों पर लिखना मुझे बहुत पसंद है। खासतौर पर खेती-बाड़ी, बागवानी और सरकारी योजना से जुड़े मुद्दों में मेरी गहरी रुचि है। मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि आपको सच्ची और सही जानकारी दे सकूं, ताकि आप इन विषयों को अच्छे से समझ सकें। अगर आप भी इन जरूरी और दिलचस्प बातों को जानना चाहते हैं, तो जुड़े रहें https://khetkhajana.com/ के साथ। धन्यवाद

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