तरबूज की खेती कब और कैसे करें ? संचरी तरबूज लगाकर किसान हो रहे है मालामाल, जानें तरीका

तरबूज की खेती कब और कैसे करें ? संचरी तरबूज लगाकर किसान हो रहे है मालामाल, जानें तरीका
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तरबूज की खेती कब और कैसे करें ? संचरी तरबूज लगाकर किसान हो रहे है मालामाल, जानें तरीका

खेत खजाना, सिरसा : परंपरागत खेती में अधिक मुनाफा न होने की वजह से किसान अब आधुनिक खेती की तरफ ध्यान देना शुरू हो गए है । किसान अब अपने खेत में मौसमी सब्जी लगाकर कमाई का जरिया खोज रहे है और कामयाबी उन किसानों को मिल रही है ।

वहीं सिरसा के गांव जोड़किया के एक किसान ने 5 एकड़ भूमि में 2 साल पहले किन्नू का बाग लगाया था किन्नू के बाग से अभी पैदावार शुरू नहीं हुई लेकिन किन्नू के पौधों के लाइनों में खाली पड़ी जमीन पर संचरी किस्म के तरबूज लगाकर अतिरिक्त आमदन शुरू की है । खास बात यह है कि इनके द्वारा तरबूज की फसल पर कोई भी रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है। गोबर की खाद व जैविक खाद का ही प्रयोग किया है। कीटनाशकों की जगह चावल की मांड का छिड़काव किया है।

विपरीत परिस्थितियों में कुछ करने के जज्बे ने किसान को आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। जिससे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया। जैविक विधि से तैयार की गया तरबूज काफी गुणकारी और मीठा होता है वह उत्पादन भी अच्छा होता है।

मीठा तरबूज बना फायदे का सौदा

गांव जोड़कियां के राकेश पुत्र ओमप्रकाश ढाका ने बताया कि परम्परागत कृषि के साथ साथ कोई अन्य काम धंधा श़रू करने का मन बनाया। ऐसे में तो उसने परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई का जरीया खोजना शुरू किया। उन्होंने बताया कि परंपरागत खेती में खर्चा ज्यादा व बचत कम होने पर घाटा ही लगता। इस बार लोकडाउन के कारण और ज्यादा घाटा ना हो इसके लिए उसने खेत में तरबूज लगाने का मन बनाया।

सोशल मीडिया पर जानकारी लेकर अपने खेत में उन्होंने 2 साल पहले किन्नू का बाग लगाया था उसी की कतारों में खाली पड़ी जमीन पर तरबूज लगाकर कमाई शुरू कर दी। जिससे इस समय हर रोज करीब 10 हजार रूपये की कमाई शुरू हो रही है। उसने बताया कि इन तरबूजों में किसी भी रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया। जैविक खाद व देशी कीटनाशक का प्रयोग किया।

क्षेत्र के आसपास के बरासरी, कुत्तियाना, रामपुरा ढिल्लों, जमाल, गुसाईयाना सहित कई गांवों के लोग हर रोज खेत से ही तरबूज खरीद कर ले जाते हैं व जैविक विधि से तैयार की गए तरबूज को पंसद करते हैं। खेत में लगे नलकूप व नहरी पानी से ड्रीप सिस्टम से सिंचाई करके फसल को पकाया जाता है। किसान राकेश ढाका ने बताया अपने भाई विकास के साथ तरबूज की खेती कर हाथी कमाई कर रहा है। अन्य किसान भी इस समय कमाई का जरीया खोज कर आत्मनिर्भर बना जा सकता है।

राकेश ने बताया कि उसके लगाए तरबूज आसपास के गांवों के लोग व सब्जी विक्रता लेकर जाते हैं। सिरसा मण्डी में फलों व सब्जियों को ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। उसका कहना है कि अगर सब्जियों व फलों की मंडी नाथूसरी चौपटा मे विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। इसके अलावा सरकार को अनुदान भी देना चाहिए।

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