खेत में किसान पानी की मोटर के पास मंदिर क्यों बनवाते हैं, क्या इससे कोई फायदा होता है या ये सिर्फ रिवाज है?
जिस तरह हम अपने घरों में किसी विशेष अवसर पर या किसी त्योहार पर हमारे देवी देवताओं को पूजते हैं
खेत में किसान पानी की मोटर के पास मंदिर क्यों बनवाते हैं, क्या इससे कोई फायदा होता है या ये सिर्फ रिवाज है?
आपने अक्सर देखा होगा कि किसान भाई अपने खेतों में पानी की मोटर के पास एक छोटा सा मंदिर जरूर बनवाते है, किसान छोटा हो या बड़ा लेकिन इस रिवाज को जरूर निभाया जाता है, क्या आप जानते हैं इसके पीछे का असली कारण अगर हा तो अपने विचार हमसे जरूर साझा करें
हमने कुछ बुजुर्ग किसानों से के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई एक परंपरा है, क्योंकि जिस तरह हम अपने घरों में किसी विशेष अवसर पर या किसी त्योहार पर हमारे देवी देवताओं को पूजते हैं इसी तरह हमारी फसल और खेत भी हमारे अन्नदाता है जिस कारण खेत मे किसी शुभ कार्य को करने से पहले मीठे के तौर पर कोई पकवान बनाकर खेत में बने मंदिरों में चढ़ाया जाता है ताकि फसल अच्छी हो और सिंचाई व अन्य देखभाल में कोई कमी ना आए
फसलों के उत्पादन में भी होती है वृद्धि
कई किसानों का यहां तक कहना है कि अगर वह अपने देवताओं को खुश करते हैं तो फसल भी अधिक होती है और नुकसान की संभावना भी कम रहती है इसलिए कई किसान फसल पकने और कटने से पहले अपने खेतों में गुड़ और सरसों के तेल से बने पकवान बनते हैं और वहां मौजूद सभी लोगों का मुंह भी मीठा करवाते है। कहीं किस तो फसल काटने के बाद भी खेत में बने मंदिरों में मीठा चढ़कर अपने देवताओं को खुश करते हैं।
नोट: यह जानकारी कुछ बुजुर्ग ग्रामीण किसानों द्वारा बताई गई है क्योंकि प्राचीन परंपरा के अनुसार कुछ किसान अपने खेतों में ऐसा करते हैं।