40% सब्सिडी के साथ किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती में मिलेगा बड़ा लाभ, जानें

बिहार के कृषि विभाग ने कृषि उद्यमों को बढ़ावा देने और खेती में विविधता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

40% सब्सिडी के साथ किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती में मिलेगा बड़ा लाभ, जानें
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बिहार के कृषि विभाग ने कृषि उद्यमों को बढ़ावा देने और खेती में विविधता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बागवानी निदेशालय ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए 40% सब्सिडी का ऐलान किया है। इस पहल का उद्देश्य किसानों को प्रोत्साहित करना, राज्य भर में ड्रैगन फ्रूट की खेती के विकास को बढ़ावा देना, कृषि परिदृश्य को आगे बढ़ाना और संभावित आर्थिक समृद्धि प्रदान करना है।

बिहार में ड्रैगन फ्रूट की खेती का इतिहास

कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), बिहार के अनुसार, राज्य में ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत 2014 से हुई थी। इस प्रयास की शुरुआत किशनगंज जिले ने की थी और तब से, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, जमुई, नालंदा और नवादा जैसे विभिन्न जिलों में ड्रैगन फ्रूट की खेती में लगे हुए हैं। इस उष्णकटिबंधीय फल की खेती की वजह से किसानों की आय में वृद्धि हुई है और इसकी मांग में भी वृद्धि हो रही है।

सब्सिडी की घोषणा: किसानों के लिए बड़ी सुधार

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 1,25,000 रुपये की इकाई लागत पर 40% सब्सिडी की घोषणा की गई है। इस सब्सिडी योजना का उद्देश्य वित्तीय बाधाओं को कम करना और अधिक किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इससे मिलने वाले मुनाफे को देखते हुए, बिहार के किसानों के बीच इसकी रुचि भी बढ़ी है और यह कृषि उद्यमों को नई दिशा देगा।

उद्यान निदेशालय की दिशा में कदम

उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग, बिहार ने एक्स पर पोस्ट में लिखा है, "राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत ड्रैगन फ्रूट के लिए प्रति हेक्टेयर 1,25,000 रुपये की इकाई लागत पर 40% सब्सिडी दी जा रही है।" इस समर्थन के माध्यम से, किसानों को नई तकनीकों का उपयोग करने में मदद मिलेगी और उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता प्राप्त करने में मदद की जाएगी।

इस पहल के माध्यम से, बिहार के किसानों को एक नए और लाभकारी कृषि प्रणाली की ओर प्रेरित किया जा रहा है, जिससे वे अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और कृषि क्षेत्र में विविधता को बढ़ावा दे सकते हैं।

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