वैज्ञानिक तरीके से ही टमाटर की खेती से आप बन सकते है करोड़पति, प्रयोग करने से आमदनी में आएगा जबरदस्त उछाल

वैज्ञानिक तरीके से ही टमाटर की खेती से आप बन सकते है करोड़पति, प्रयोग करने से आमदनी में आएगा जबरदस्त उछाल
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वैज्ञानिक तरीके से ही टमाटर की खेती से आप बन सकते है करोड़पति, प्रयोग करने से आमदनी में आएगा जबरदस्त उछाल

खेत खजाना : 25 अप्रैल 2024, टमाटर जो कि एक बहुउपयोगी फसल है, अब वैज्ञानिक खेती के जरिए और भी अधिक लाभदायक बन सकती है। किसानों ने वैज्ञानिक तरीके से टमाटर की खेती कर अपनी आय को करोड़ों में बदला है । इसकी खेती से न केवल आपकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि आप एक स्थायी और सुरक्षित खाद्य स्रोत भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

टमाटर की खेती का महत्व:

टमाटर की खेती वर्ष भर की जा सकती है और इसका उत्पादन अत्यंत सरल है।

इसका उपयोग सब्जी, सूप, सलाद, अचार, केचप, फ्यूरी और सॉस बनाने में होता है।

टमाटर विटामिन A, B और C का एक उत्कृष्ट स्रोत है और इसके सेवन से कब्ज की समस्या दूर होती है।

भूमि का चयन और तैयारी:

टमाटर की खेती के लिए बलुई-दुमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो, उपयुक्त मानी जाती है।

भूमि का pH मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।

खेत की तैयारी में दो या तीन बार जुताई के बाद बखर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाना और पाटा लगाकर खेत को समतल करना शामिल है।

उन्नत किस्में:

टमाटर की विभिन्न उन्नत किस्में जैसे लक्ष्मी 5005, सुपर लक्ष्मी, काशी अमृत, काशी अनुपम, काशी विशेष, पुसा सदाबहार, अर्का सौरभ, अर्का विकास, अर्का आभा, अर्का विशाल, जवाहर टमाटर-99 उपलब्ध हैं।

फसल चक्र:

फसल चक्र के रूप में भिंडी-टमाटर-खीरा, बरबटी-टमाटर-करेला, खीरा-टमाटर-लौकी का अनुसरण किया जा सकता है।

बीज और बीजोपचार:

टमाटर के बीज की आवश्यकता प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम होती है।

बीजोपचार के लिए थायरम या डायथेन एम-45 नामक दवा का उपयोग किया जाता है।

रोपणी और पौध रोपाई:

पौधशाला की मिट्टी को कीटाणु और रोगाणु रहित करने के लिए सौर ऊर्जा से उपचारित करना चाहिए।

रोपणी के लिए क्यारियों को पोलीथिन शीट से ढंककर रखना और बीज बोने से पहले उर्वरक और खाद का उपयोग करना शामिल है।

खाद और उर्वरक:

खेत की तैयारी के समय गोबर खाद, स्फुर और पोटाश का उपयोग करना चाहिए।

नत्रजन की आवश्यकता और इसके उपयोग का समय भी निर्धारित है।

सिंचाई और निदाई-गुड़ाई:

टमाटर की फसल में सिंचाई की आवश्यकता और खरपतवार नियंत्रण के लिए निदाई-गुड़ाई की जरूरत होती है।

पौध संरक्षण:

फलों की इल्ली, एपिलेक्ना बीटल, एफिड्स, जैसिड और सफेद मक्खी जैसे कीटों से पौधों की रक्षा के लिए विभिन्न उपाय और छिड़काव की जानकारी दी गई है।

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