नवंबर माह में कर सकते हैं गाजर की खेती, इन उन्नत किस्म की करें बुवाई, प्रति हेक्टेयर मिलेगा 400 क्विंटल का उत्पादन
आखिरी जुताई के बाद 30 किलोग्राम पोटाश, 30 किलोग्राम नाइट्रोजन/हेक्टेयर रासायनिक खाद दें.

नवंबर माह में कर सकते हैं गाजर की खेती, इन उन्नत किस्म की करें बुवाई, प्रति हेक्टेयर मिलेगा 400 क्विंटल का उत्पादन
गाजर, भारतीय बाजारों में एक प्रमुख सब्जी है जो सर्दियों में बहुत फायदेमंद फसल होती है. इसकी खेती से किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा होता है. इस लेख में हम गाजर की खेती से संबंधित जानकारी प्रदान करेंगे.
गाजर की जानकारी
खेती का समय: गाजर की बुवाई रबी और खरीफ सीजन में होती है. रबी में बुआई का सही समय अगस्त से अक्टूबर तक है.
उपयुक्त जलवायु: गाजर की खेती के लिए उत्तम जलवायु ठंड मौसम के लिए है. इसमें स्वादिष्ट सब्जी के लिए शुरुआती गर्मियों से लेकर शरत ऋतु तक की जा सकती है.
गाजर की वैज्ञानिक खेती
बीज चयन: उचित बीज चयन और सही बोने का समय अच्छे उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है.
उपयुक्त जलवायु: कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेना गाजर की वैज्ञानिक खेती के लिए महत्वपूर्ण है.
गाजर की उन्नत किस्में
उन्नत किस्में
पूसा मेघाली
पूसा यमदागिनी
पूसा आसिता
पूसा केसर
हिसार रसीली
गहरा 29
नैनटिस
गाजर की खेती में सिंचाई
पहली सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद करें.
ठंड के मौसम में 8-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें.
गर्मी में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें.
गाजर की खेती में खाद
पहली जुताई के बाद 30 गाड़ी गोबर की सडी/हेक्टेयर दें.
आखिरी जुताई के बाद 30 किलोग्राम पोटाश, 30 किलोग्राम नाइट्रोजन/हेक्टेयर रासायनिक खाद दें.
गाजर की खेती के फायदे
आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है.
कम पानी में भी संभव है.
गाजर पौष्टिकता से भरपूर है.
गाजर की खेती में लागत व मुनाफा
प्रति हेक्टेयर लगभग 300-400 क्विंटल पैदावार.
बाजार में भाव 30-40 रुपए/किलोग्राम.
खेती में 1 लाख रुपए का खर्च भी हटा देते है तो आपको लगभग 6 लाख रुपए शुद्ध मुनाफा प्राप्त होगा.