मात्र 13 किलो यूरिया से गेंहू की फसल को अच्छे से पका सकते है आप, कम खर्च में अधिक उत्पादन लेने का अनोखा तरीका ।

मात्र 13 किलो यूरिया से गेंहू की फसल को अच्छे से पका सकते है आप, कम खर्च में अधिक उत्पादन लेने का अनोखा तरीका ।
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मात्र 13 किलो यूरिया से गेंहू की फसल को अच्छे से पका सकते है आप, कम खर्च में अधिक उत्पादन लेने का अनोखा तरीका ।

खेत खजाना : गेहूं की फसल को बेहतरीन बनाने के लिए 13 किलो यूरिया का सही तरीके से इस्तेमाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम आपको एक ऐसे प्रयास के बारे में बताएंगे जिससे आप अपनी गेहूं की पूरी फसल को मात्र 13 किलोग्राम यूरिया से तैयार कर सकते हैं, और इसमें कम खर्च और अधिक पैदावार होगी।

गेहूं में यूरिया और न्यूट्रिएंट्स का महत्व:

गेहूं की फसल को विकसित करने के लिए यूरिया नाइट्रोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। वातावरण में 78% नाइट्रोजन होता है, लेकिन पौधों को इसकी आवश्यकता होती है। इसलिए, इस यूरिया के सही तरीके से इस्तेमाल से फसल में वृद्धि होती है।

यूरिया की मात्रा कैसे तय करें:

गेहूं की फसल को मात्र 13 किलोग्राम यूरिया से तैयार करने के लिए, इसे पांच भागों में बाँटना होगा। निम्नलिखित है उसका तरीका:

पहले स्प्रे: 20-25 दिनों के बाद, 1 किलोग्राम यूरिया को गेहूं की पौधों पर स्प्रे करें।

दूसरा स्प्रे: 30-35 दिनों के बाद, 3 किलोग्राम यूरिया का घोल बनाएं और इसे फसल पर स्प्रे करें।

तीसरा स्प्रे: 45-50 दिनों के बाद, 3 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करें, और चाहे तो इसमें चेलटेड जिंक भी मिला सकता है।

चौथा स्प्रे: 70 दिनों के बाद, और अगले 20-25 दिनों के बाद, 3 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करें।

पांचवा स्प्रे: आखिरी स्प्रे में, 90-95 दिनों के बाद, फिर से 3 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करें।

अन्य महत्वपूर्ण सुझाव:

यूरिया के साथ, जिंक, सल्फर, और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को भी मिटटी में मिलाएं।

फसल की पूर्ति को बनाए रखने के लिए, यूरिया स्प्रे के साथ अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का भी संयोजन करें।

यूरिया का बड़ा मात्रा में उपयोग करने से बचें, ताकि किसानों को अधिक खर्च से बचा जा सके।

इस विशेष तकनीक का अनुसरण करके, आप अपनी गेहूं की फसल को कम खर्च में अधिक पैदावार से तैयार कर सकते हैं। यह स्थापित है कि सही समय पर सही तरीके से यूरिया स्प्रे करने से फसल को आवश्यक न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं, जिससे उसकी वृद्धि होती है और उसमें पूर्णता आती है।

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